बांग्लादेश के दबाव में भारत: शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर तनावपूर्ण स्थिति

बांग्लादेश के दबाव में भारत: शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर तनावपूर्ण स्थिति सित॰, 6 2024

भारत पर बढ़ता प्रत्यर्पण का दबाव

भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है। 5 अगस्त को एक छात्र-नेतृत्व वाले क्रांति के बाद शेख हसीना भारत में शरण ले ली थी। उनके 15 साल के शासनकाल के दौरान उन पर चुनावी धांधली, मानवाधिकार हनन, अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं और जबरन गायब करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे।

मानवाधिकार हनन और धांधली के आरोप

शेख हसीना पर लगे आरोपों में सबसे गंभीर चुनावी धांधली और मानवाधिकार हनन के हैं। उनके शासन के दौरान कई मामलों में आरोप लगे कि विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर गिरफ्तार किया गया, उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दायर किए गए और कुछ मामलों में उन्हें गायब कर दिया गया। इन आरोपों के चलते उनकी छवि को बड़ी क्षति पहुंची है और अब अंतरिम सरकार इन आरोपों की जांच करने और न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मोहम्मद यूनुस की महत्वपूर्ण भूमिका

मोहम्मद यूनुस की महत्वपूर्ण भूमिका

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। उन्होंने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को लेकर जोरदार बयान दिया है। यूनुस ने कहा है कि बांग्लादेश के लोग न्याय की मांग कर रहे हैं और हालात को सुधारने के लिए हसीना को न्यायालय का सामना करना चाहिए। उनकी इस मांग से बांग्लादेश के भीतर और भारत-बांग्लादेश के बीच हालात और जटिल हो गए हैं।

भारत के सामने कूटनीतिक चुनौती

शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग ने भारत के लिए कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। भले ही भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन भारत को निर्णय लेना होगा कि क्या ये आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं या नहीं। यदि भारत हसीना को प्रत्यर्पित करने का निर्णय लेता है, तो इससे उसकी 'पड़ोसी पहले' नीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और बांग्लादेश के साथ संबंधों में और जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर

भारत और बांग्लादेश के संबंध दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं। शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग ने इन संबंधों को एक नए तनाव की ओर धकेल दिया है। भारत के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वह अपने ऐतिहासिक संबंधों और क्षेत्रीय कूटनीति के बीच संतुलन बनाए रखे।

चीन की प्रतिस्पर्धा के बीच कूटनीतिक संतुलन

दक्षिण एशिया में बढ़ती चीनी प्रभाव के बीच भारत के लिए क्षेत्रीय कूटनीति और भी महत्वपूर्ण हो गई है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण के इस संवेदनशील मुद्दे को संभालने में भारत के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं। एक ओर जहां बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपने देश में शांति और न्याय की प्रतिष्ठा के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं दूसरी ओर भारत को अपनी विदेश नीति और क्षेत्रीय संबंधों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना होगा।

आगे का रास्ता

आगे का रास्ता

शेख हसीना की वर्तमान स्थिति ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नई मोड़ पर ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत किस प्रकार से इस स्थिति को संभालता है। क्या वह शेख हसीना को प्रत्यर्पित करेगा या उदारता दिखाते हुए उन्हें शरण देगा? इसके निर्णय से न केवल दो देशों के संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि दक्षिण एशिया की कूटनीतिक स्थिति पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा।