चंपाई सोरेन: झारखंड के नाटकीय मुख्यमंत्री की भूमिका में उभरता सितारा
जुल॰, 4 2024चंपाई सोरेन: झारखंड की राजनीतिक क्षेत्र के नाटकीय मुख्यमंत्री
झारखंड के प्रसिद्ध नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के चंपाई सोरेन ने 67 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। उनका मुख्यमंत्री के रूप में उत्थान और पतन दोनों ही घटनाओं की दृष्टि से बेहद चौंकाने वाला था। सारा कारकिला-खरसावां जिला के एक छोटे से गांव में जन्मे चंपाई सोरेन की राजनीतिक यात्रा कई महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजरी। 1991 में बिहार के अविभाजित राज्य में सारा केला सीट से निर्दलीय विधायक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जिससे उनकी पहचान होती गई।
चंपाई सोरेन ने राजनीतिक में आत्मनिर्भरता और समर्पण के साथ कदम रखा। उन्होंने JMM टिकट पर विधानसभा चुनाव में प्रतिभागी के रूप में बीजेपी के पंचु टुडू को हराया। इसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के अनंत राम टुडू के खिलाफ हार गए, लेकिन 2005 में वह फिर से बीजेपी के उम्मीदवार को हराकर सीट हासिल करने में सफल रहे।
मुख्यमंत्री पद की विरासत
चंपाई सोरेन ने 2009, 2014, और 2019 के विधानसभा चुनावों में निरंतर जीत हासिल की। वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक अरुण मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद 2019 में हेमंत सोरेन की दूसरी सरकार के गठन के बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाईं। जैसे महिलाओं को वित्तीय सहायता, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, और 33 लाख लोगों के लिए 15 लाख रुपये की स्वास्थ्य कवर जैसी योजनाएँ जो उन्होंने अपने पांच महीने के मुख्यमंत्री काल में लागू की।
चंपाई सोरेन का मुख्यमंत्री काल न केवल कार्यों में बल्कि राजनीतिक घटनाओं में भी अविस्मरणीय रहा। जब हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जेल से रिहा होने के बाद पक्षीय नेताओं की बैठक में स्थिति संभाली, तब चंपाई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
भविष्य की ओर दीर्घदृष्टि
चंपाई सोरेन के इस निर्णय ने एक बार फिर दिखाया कि वह किसी भी पद और स्थिति को संभालने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। झारखंड की राजनीति में उनकी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आगे भी उनके निर्णय और कार्यक्षमता से झारखंड को लाभ मिलेगा।
चंपाई सोरेन का यह पांच माह का मुख्यमंत्री कार्यकाल उनके लिए बेहद महत्त्वपूर्ण और नाटकीय था। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने जनता के विश्वास को जीतने के लिए कठिन परिश्रम किया है, और उम्मीद की जाती है कि उनका आगामी समय भी झारखंड के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
उनकी बातें और उनके कार्य विधि हमेशा से ही उनकी पहचान रही है। उनके निर्णय लेने की क्षमता और लोगों के प्रति दया और करुणा ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
चंपाई सोरेन की यह यात्रा हमें दिखाती है कि कैसे एक छोटा गाँव का आदमी भी बड़े सपनों को हासिल कर सकता है। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाती है कि समाज सेवा और कठिन परिश्रम से कुछ भी संभव है। अब देखना यह है कि आगे आने वाले समय में भी वह अपनी इस यात्रा को किस तरह जारी रखते हैं।