चंपाई सोरेन: झारखंड की राजनीतिक क्षेत्र के नाटकीय मुख्यमंत्री
झारखंड के प्रसिद्ध नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के चंपाई सोरेन ने 67 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। उनका मुख्यमंत्री के रूप में उत्थान और पतन दोनों ही घटनाओं की दृष्टि से बेहद चौंकाने वाला था। सारा कारकिला-खरसावां जिला के एक छोटे से गांव में जन्मे चंपाई सोरेन की राजनीतिक यात्रा कई महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजरी। 1991 में बिहार के अविभाजित राज्य में सारा केला सीट से निर्दलीय विधायक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जिससे उनकी पहचान होती गई।
चंपाई सोरेन ने राजनीतिक में आत्मनिर्भरता और समर्पण के साथ कदम रखा। उन्होंने JMM टिकट पर विधानसभा चुनाव में प्रतिभागी के रूप में बीजेपी के पंचु टुडू को हराया। इसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के अनंत राम टुडू के खिलाफ हार गए, लेकिन 2005 में वह फिर से बीजेपी के उम्मीदवार को हराकर सीट हासिल करने में सफल रहे।
मुख्यमंत्री पद की विरासत
चंपाई सोरेन ने 2009, 2014, और 2019 के विधानसभा चुनावों में निरंतर जीत हासिल की। वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक अरुण मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद 2019 में हेमंत सोरेन की दूसरी सरकार के गठन के बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाईं। जैसे महिलाओं को वित्तीय सहायता, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, और 33 लाख लोगों के लिए 15 लाख रुपये की स्वास्थ्य कवर जैसी योजनाएँ जो उन्होंने अपने पांच महीने के मुख्यमंत्री काल में लागू की।
चंपाई सोरेन का मुख्यमंत्री काल न केवल कार्यों में बल्कि राजनीतिक घटनाओं में भी अविस्मरणीय रहा। जब हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जेल से रिहा होने के बाद पक्षीय नेताओं की बैठक में स्थिति संभाली, तब चंपाई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
भविष्य की ओर दीर्घदृष्टि
चंपाई सोरेन के इस निर्णय ने एक बार फिर दिखाया कि वह किसी भी पद और स्थिति को संभालने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। झारखंड की राजनीति में उनकी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आगे भी उनके निर्णय और कार्यक्षमता से झारखंड को लाभ मिलेगा।
चंपाई सोरेन का यह पांच माह का मुख्यमंत्री कार्यकाल उनके लिए बेहद महत्त्वपूर्ण और नाटकीय था। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने जनता के विश्वास को जीतने के लिए कठिन परिश्रम किया है, और उम्मीद की जाती है कि उनका आगामी समय भी झारखंड के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
उनकी बातें और उनके कार्य विधि हमेशा से ही उनकी पहचान रही है। उनके निर्णय लेने की क्षमता और लोगों के प्रति दया और करुणा ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
चंपाई सोरेन की यह यात्रा हमें दिखाती है कि कैसे एक छोटा गाँव का आदमी भी बड़े सपनों को हासिल कर सकता है। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाती है कि समाज सेवा और कठिन परिश्रम से कुछ भी संभव है। अब देखना यह है कि आगे आने वाले समय में भी वह अपनी इस यात्रा को किस तरह जारी रखते हैं।
Rakesh Joshi
जुलाई 5, 2024 AT 04:55चंपाई सोरेन तो झारखंड का असली लड़ाकू है! गाँव से शुरू करके मुख्यमंत्री बनना? ये कोई सपना नहीं, ये जंग है! उन्होंने जो योजनाएँ लाईं-मुफ्त बिजली, स्वास्थ्य कवर-वो सिर्फ टिकट नहीं, जनता के दिलों की जीत है। अब भी वो चल रहे हैं, बस अलग रास्ते से। झारखंड के लिए ये आदमी एक जिंदा इतिहास है।
HIMANSHU KANDPAL
जुलाई 7, 2024 AT 02:34इतना नाटकीय उठान-गिरावट? ये सब बस राजनीति का नाटक है। एक दिन मुख्यमंत्री, अगले दिन इस्तीफा? ये लोग जनता को नाटक दिखाकर अपना पावर बनाए रखते हैं। जब तक वो जेल से बाहर नहीं आए, तब तक ये सब फ्लैश था।
Arya Darmawan
जुलाई 8, 2024 AT 13:53चंपाई सोरेन की कहानी एक जीवन शिक्षा है! गरीबी से शुरू, अपनी मेहनत से आगे बढ़े, और जब अवसर आया तो उसे गले लगा लिया! उन्होंने जो योजनाएँ बनाईं-200 यूनिट मुफ्त बिजली, 15 लाख का स्वास्थ्य कवर-वो नीतियाँ नहीं, इंसानियत के निशान हैं। अगर हर नेता इतना दिल से काम करता, तो भारत अलग होता। ये आदमी नेता नहीं, एक जिंदा आदर्श है।
Raghav Khanna
जुलाई 9, 2024 AT 09:45चंपाई सोरेन के कार्यकाल को देखकर लगता है कि वे एक अत्यंत नैतिक और व्यवस्थित नेता हैं। उनका इस्तीफा एक नियमित राजनीतिक चक्र का हिस्सा है, जिसमें व्यक्तिगत नैतिकता को राष्ट्रीय हित के सामने रखा गया। इस प्रकार के निर्णय वास्तव में राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं।
Rohith Reddy
जुलाई 10, 2024 AT 00:22Vidhinesh Yadav
जुलाई 10, 2024 AT 22:52क्या आपने कभी सोचा कि चंपाई सोरेन के बचपन में बिजली नहीं थी? उन्होंने जो 200 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना बनाई, शायद उन्हें याद आया होगा कि अपने घर में रात को मोमबत्ती से पढ़ना कैसा था। ये नीतियाँ डेटा नहीं, यादें हैं।
Sweety Spicy
जुलाई 11, 2024 AT 20:35चंपाई सोरेन? बस एक और चालाक राजनेता जिसने अपने नाम के साथ बाजी मार ली! ये सब योजनाएँ जो लाए-महिलाओं की वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य कवर-सब बस चुनावी बातचीत है। जब वो बाहर आएंगे, तो ये सब भूल जाएंगे। और फिर कोई नया नाटक शुरू होगा। इस राजनीति में कोई असली बदलाव नहीं होता।
Maj Pedersen
जुलाई 12, 2024 AT 13:06चंपाई सोरेन के नेतृत्व के तीन महत्वपूर्ण गुण थे-दृढ़ता, निर्णय क्षमता, और जनता के प्रति समर्पण। उनका इस्तीफा एक नैतिक विकल्प था, जिसने राजनीतिक जिम्मेदारी की एक नई परिभाषा दी। ऐसे नेता कम हैं।
Ratanbir Kalra
जुलाई 13, 2024 AT 17:42Seemana Borkotoky
जुलाई 15, 2024 AT 11:52मैं झारखंड की एक छोटी सी नदी के किनारे बड़ी हुई हूँ। जब चंपाई सोरेन ने बिजली की योजना लाई, तो हमारे घर में पहली बार रात को टीवी चला। उन्होंने सिर्फ बिजली नहीं दी-उम्मीद दी। अब वो मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन उनकी याद अभी भी हमारे घर में बिजली की रोशनी की तरह जल रही है।
Sarvasv Arora
जुलाई 16, 2024 AT 02:28चंपाई सोरेन? बस एक और चालाक चाकू जिसने बाजार में अपनी तलवार चलाई। उनकी योजनाएँ? सब बस चुनावी चिपकने वाले पोस्टर की तरह-एक दिन चमकती हैं, अगले दिन धुंधली पड़ जाती हैं। और जब वो इस्तीफा देते हैं, तो लोगों को लगता है कि वो नैतिक हैं। बस नाटक है। राजनीति में असली नेता वो होते हैं जो बैठे रहते हैं, न कि जो नाटक खेलते हैं।