Cognizant का ₹2.5 LPA ऑफर: नए ग्रेजुएट्स के गुस्से ने सोशल मीडिया पर मचाई हलचल
हाल ही में Cognizant द्वारा ऑफ-कैम्पस प्लेसमेंट ड्राइव में नए ग्रेजुएट्स को ₹2.5 LPA का वेतन ऑफर किया गया था। लेकिन इस ऑफर ने नौकरी खोजने वाले युवाओं के बीच काफी नाराजगी और प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। यह पहली बार नहीं है कि टेक्नोलॉजी सेक्टर की बड़ी कंपनियों ने ऐसे वेतन पैकेज ऑफर किए हैं, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में गत वर्षों के दौरान बड़े स्तर पर नियुक्तियों पर रोक, छंटनी और AI के बढ़ते प्रयोग ने वेतन वृद्धि को रोक दिया है।
सोशल मीडिया पर नाराजगी
सोशल मीडिया पर युवाओं और नए ग्रेजुएट्स ने अपने गुस्से को व्यक्त किया है। उन्होंने इस वेतन को सामजिक मीडिया पर ट्रेंड बना दिया है, और कई मीम्स और टिप्पणियाँ इस विषय पर तेजी से फैल रही हैं। विशेष रूप से महानगरों में रहने की बढ़ती लागत को देखते हुए इस वेतन को अपर्याप्त बताया गया है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स का कहना है कि स्ट्रीट फूड वेंडर्स और घरेलू काम करने वाले लोगों की कमाई भी इस वेतन से अधिक है।
वेतन असमानता का मुद्दा
आईटी इंडस्ट्री में वेतन असमानता एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीनियर लेवल टैलेंट को ग्लोबल बेंचमार्किंग के चलते तेजी से वेतन वृद्धि दी जा रही है, वहीं एंट्री-लेवल सैलरी में कोई बदलाव नहीं हुआ है। InGovern Research Services के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमणियन का कहना है कि भारत और अमेरिका में एक बड़ा अंतर है। अमेरिका में लेबर यूनियनें वेतन अनुपात डेटा का उपयोग करके सुधारात्मक बातचीत करती हैं, जबकि भारत में ऐसा नहीं है।
नए ग्रेजुएट्स का गुस्सा और निराशा
नए ग्रेजुएट्स का मानना है कि इतने कम वेतन में महानगरों में रहने और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करना लगभग असंभव है। उन्हें लगता है कि कंपनी की यह पेशकश उनके समय और मेहनत का अपमान है। कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, जहां उन्होंने कम वेतन की वजह से दूसरे क्षेत्र में जाने का फैसला किया।
महत्वपूर्ण आंकड़े और विश्लेषण
नए ग्रेजुएट्स के वेतन और जीवनयापन की लागत की तुलना करते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि महानगरों में न्यूनतम जीविका के लिए भी यह वेतन पर्याप्त नहीं है। यह असंतुलन न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि इंडस्ट्री के स्तर पर भी चिंताजनक है।
सीनियर लेवल और एंट्री-लेवल के बीच वेतन का अंतर
सीनियर लेवल पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली उच्च वेतन और एंट्री-लेवल कर्मचारियों को मिल रहे कम वेतन के बीच का अंतर बड़ा होता जा रहा है। इस असंतुलन का प्रमुख कारण कंपनियों की नीतियाँ हैं, जो ऊँचे पदों पर बैठे लोगों को उच्च वेतन देती हैं जबकि नए प्रवेश करने वालों को कम वेतन मिलता है।
निष्कर्ष
Cognizant के ₹2.5 LPA वेतन ऑफर ने नए ग्रेजुएट्स के गुस्से को भड़का दिया है। सोशल मीडिया पर वेतन असमानता को लेकर चल रही चर्चा और युवा प्रोफेशनल्स की निराशा इस बात का प्रमाण है कि आईटी सेक्टर में वेतन असमानता को दूर करने की आवश्यकता है। कंपनीज को चाहिए कि वे न केवल सीनियर लेवल कर्मचारी बल्कि एंट्री-लेवल कर्मचारियों के वेतन में भी सुधार करें, ताकि सभी को एक संतुलित और न्यायपूर्ण वेतन मिल सके।
dinesh singare
अगस्त 16, 2024 AT 04:50ये ₹2.5 LPA का ऑफर तो बस एक ठेकेदारी का नाम है। इतने में तो दिल्ली में एक छोटा सा रूम भी नहीं मिलता, जहां बिजली, पानी, और इंटरनेट के लिए अलग से भुगतान करना पड़े। ये कंपनियां तो सिर्फ ग्रेजुएट्स को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रही हैं, न कि इंसान के तौर पर। और फिर भी वो कहते हैं 'हम तो जॉब दे रहे हैं'। जॉब देना तो बच्चों को बाइक देने जैसा है, लेकिन बिना गैस के।
Priyanjit Ghosh
अगस्त 17, 2024 AT 02:46अरे भाई, ये ₹2.5 LPA तो बस एक बातचीत की शुरुआत है 😅 अगर तुम्हारे पास कोई स्किल है तो तुम एक साल में दोगुना कमा लेते हो। लेकिन अगर तुम सोच रहे हो कि जॉब मिल गई तो जीवन बदल गया, तो ये गलत धारणा है। ये तो सिर्फ एक शुरुआत है। और हां, अगर तुम अभी भी अपने पापा के पैसे से रह रहे हो, तो तुम्हें ये वेतन अच्छा लगेगा 😎
Anuj Tripathi
अगस्त 18, 2024 AT 14:52दोस्तों ये बात तो है ही कि जिंदगी बर्बाद हो रही है लेकिन इसका जवाब भी तो है। अगर तुम्हारे पास कोई स्किल है तो तुम घर बैठे फ्रीलांस कर सकते हो। यूट्यूब, टेक ब्लॉग, या फिर कोई ऐप बना लो। ये सब कुछ बिना किसी कंपनी के हो सकता है। कंपनी तो बस एक रास्ता है, अगर वो ठीक नहीं है तो अपना रास्ता बना लो। जिंदगी तो बाहर है, ऑफिस में नहीं।
Hiru Samanto
अगस्त 19, 2024 AT 03:11ये वेतन तो बहुत कम है लेकिन इसके पीछे का वास्तविक मुद्दा ये है कि हमारे शिक्षा प्रणाली में कोई प्रैक्टिकल स्किल नहीं सिखाई जाती। हम सब एक नोटबुक में लिखकर जीते हैं लेकिन रियल वर्ल्ड में कुछ नहीं कर पाते। अगर हम अपने आप को बेहतर बनाएं तो वेतन खुद आ जाएगा। बस थोड़ा और अपने आप पर भरोसा करो।
Divya Anish
अगस्त 19, 2024 AT 20:24मैं इस विषय पर गहराई से विचार करती हूं। एंट्री-लेवल कर्मचारियों के लिए यह वेतन न केवल असंतोषजनक है, बल्कि इससे युवा पीढ़ी को यह संदेश भी मिलता है कि उनकी मेहनत का मूल्य नगण्य है। यह एक सामाजिक अन्याय है जिसका समाधान केवल नीतिगत बदलावों से ही संभव है। कंपनियों को अपने वेतन संरचना को पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए, और शिक्षा संस्थानों को उद्योग के साथ अधिक समन्वय करना चाहिए।
md najmuddin
अगस्त 20, 2024 AT 00:44बस एक लाइन: ये ₹2.5 LPA तो बस एक शुरुआत है, लेकिन अगर तुम बैठे रहोगे तो ये अंत भी हो जाएगा 😌