कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का इस्तीफा न देने का ऐलान, बीजेपी का आरोपों पर विरोध जारी
सित॰, 27 2024कर्नाटक के मुख्यमंत्री का इस्तीफा न देने का फैसला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे, चाहे MUDA घोटाले के आरोप उन पर लगाए गए हों। इस समय राज्य की राजनीति में माहौल बेहद गर्म है, और बीजेपी द्वारा कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए जा रहे हैं। सिद्धारमैया का कहना है कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने किसी आरोप के चलते अपना पद नहीं छोड़ा, तो उनसे इस्तीफा मांगना अनुचित है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुमारस्वामी से इस्तीफा मांगा था?
बीजेपी नेताओं का विरोध
बीजेपी इस मुद्दे पर मुखर है और नेताओं का कहना है कि इस्तीफा देकर निष्पक्ष जांच के लिए जमीन तैयार की जानी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद बसवराज बोम्मई ने इस पर जोर देते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए सिद्धारमैया को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उनका कहना था कि "मौजूदा सरकार को लोकायुक्त को मुक्त हाथ देना चाहिए और इसके लिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ना आवश्यक है।"
बीजेपी के अन्य नेता भी सिद्धारमैया की आलोचना में पीछे नहीं हैं। सी. टी. रवि ने कहा कि जब बसरूज विश्वनाथय्य (बी. एस.) येदियुरप्पा के खिलाफ आरोप लगे थे, तब सिद्धारमैया ने इस्तीफा मांगने की बात कही थी। तो अब उन्हें भी वही सुझाव मानना चाहिए।
कांग्रेस का बयान
सिद्धारमैया के साथी और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने इस पूरे मामले को राजनीतिक नाटक बताया है। उन्होंने कहा कि "बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्री और अन्य नेता खुद विभिन्न मामलों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। इसी तरह, मुख्यमंत्री को भी इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
शिवकुमार का कहना था कि यह केवल एक राजनीतिक चाल है और विरोधियों द्वारा मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की ऐसी मांगें केवल ध्यान भटकाने के लिए होती हैं, न कि सच्चाई की खोज के लिए।
स्थिति का राजनीतिक प्रभाव
इस पूरे मामले ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बेहद गर्मा दिया है। एक तरफ, जहां बीजेपी लगातार इस्तीफे की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस अपनी स्थिति पर दृढ़ बनी हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में जाए और क्या इस राजनीतिक तानाशाही का अंत होगा।
वर्तमान स्थिति क्या मोड़ लेगी, यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि इसके प्रभाव से राज्य की राजनीति में भारी विरोधाभास हो सकता है।