कर्नाटक के मुख्यमंत्री का इस्तीफा न देने का फैसला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे, चाहे MUDA घोटाले के आरोप उन पर लगाए गए हों। इस समय राज्य की राजनीति में माहौल बेहद गर्म है, और बीजेपी द्वारा कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए जा रहे हैं। सिद्धारमैया का कहना है कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने किसी आरोप के चलते अपना पद नहीं छोड़ा, तो उनसे इस्तीफा मांगना अनुचित है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुमारस्वामी से इस्तीफा मांगा था?
बीजेपी नेताओं का विरोध
बीजेपी इस मुद्दे पर मुखर है और नेताओं का कहना है कि इस्तीफा देकर निष्पक्ष जांच के लिए जमीन तैयार की जानी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद बसवराज बोम्मई ने इस पर जोर देते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए सिद्धारमैया को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उनका कहना था कि "मौजूदा सरकार को लोकायुक्त को मुक्त हाथ देना चाहिए और इसके लिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ना आवश्यक है।"
बीजेपी के अन्य नेता भी सिद्धारमैया की आलोचना में पीछे नहीं हैं। सी. टी. रवि ने कहा कि जब बसरूज विश्वनाथय्य (बी. एस.) येदियुरप्पा के खिलाफ आरोप लगे थे, तब सिद्धारमैया ने इस्तीफा मांगने की बात कही थी। तो अब उन्हें भी वही सुझाव मानना चाहिए।
कांग्रेस का बयान
सिद्धारमैया के साथी और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने इस पूरे मामले को राजनीतिक नाटक बताया है। उन्होंने कहा कि "बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्री और अन्य नेता खुद विभिन्न मामलों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। इसी तरह, मुख्यमंत्री को भी इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
शिवकुमार का कहना था कि यह केवल एक राजनीतिक चाल है और विरोधियों द्वारा मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की ऐसी मांगें केवल ध्यान भटकाने के लिए होती हैं, न कि सच्चाई की खोज के लिए।
स्थिति का राजनीतिक प्रभाव
इस पूरे मामले ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बेहद गर्मा दिया है। एक तरफ, जहां बीजेपी लगातार इस्तीफे की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस अपनी स्थिति पर दृढ़ बनी हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में जाए और क्या इस राजनीतिक तानाशाही का अंत होगा।
वर्तमान स्थिति क्या मोड़ लेगी, यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि इसके प्रभाव से राज्य की राजनीति में भारी विरोधाभास हो सकता है।
Vishal Raj
सितंबर 29, 2024 AT 06:21ये सब राजनीति तो बस दर्शकों के लिए है। जब तक आम आदमी के पास बिजली नहीं, पानी नहीं, रोजगार नहीं, तब तक इस्तीफे का मामला किसी को फर्क नहीं पड़ता। लोग तो बस टीवी पर देख रहे हैं, जैसे कोई सीरीज चल रही हो।
Reetika Roy
सितंबर 29, 2024 AT 13:11इस तरह के विवादों में निष्पक्षता का असली मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने पद पर बैठे रहे, जब तक जांच पूरी न हो जाए। दबाव डालने से कुछ नहीं मिलता, नियमों का पालन ही सच्ची जिम्मेदारी है।
Pritesh KUMAR Choudhury
सितंबर 29, 2024 AT 20:52अगर हम एक ही मापदंड से सबको नापें तो ये सब बहस बंद हो जाएगी। जब बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ आरोप लगे थे, तो सिद्धारमैया ने इस्तीफे की मांग की थी। अब जब उनके खिलाफ आरोप हैं, तो उनकी बात सुनने का नहीं बन रहा। ये दोहरा मानक तो बस राजनीति की आदत है।
Mohit Sharda
अक्तूबर 1, 2024 AT 11:51मुझे लगता है कि इस विवाद को शांति से सुलझाना चाहिए। जांच तो होनी ही चाहिए, लेकिन इसके लिए इस्तीफा देना जरूरी नहीं। अगर एक नेता अपने पद पर बैठकर जांच के लिए सहयोग कर रहा है, तो उसे रोकने की कोई जरूरत नहीं। बस एक साथ बैठकर बात हो जाए तो बेहतर होगा।
Sanjay Bhandari
अक्तूबर 1, 2024 AT 20:39yaar ye sab kya chal raha hai? sab log ek dusre ko gali de rahe hai lekin koi bhi kisi kaam ki baat nahi kar raha. kuch to karo yaar, bas drama nahi chahiye.
Mersal Suresh
अक्तूबर 3, 2024 AT 12:37संविधान और न्यायपालिका के अनुसार, किसी भी अधिकारी के विरुद्ध आरोप लगने पर उसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता होती है। इस्तीफा देना एक नैतिक जिम्मेदारी है, न कि राजनीतिक दबाव का परिणाम। यदि कोई नेता अपनी नैतिकता को अपनी शक्ति से बदल देता है, तो वह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
Pal Tourism
अक्तूबर 4, 2024 AT 23:36dekho yaar yeh sab kya hai? kumarswamy ne nahi diya toh siddu ko kyu mang rahe? phir bhi yeh log bina kisi proof ke bhaiya bhaiya kar rahe hai. bhaiya toh kisi ka bhi nahi hota. sabka apna agenda hota hai. yeh sab bas ek show hai jisme sab apne apne role kar rahe hai. koi sach bolta nahi. koi kahin nahi ja raha. bas camera ke saamne bhaag raha hai.
Sunny Menia
अक्तूबर 5, 2024 AT 15:28हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जांच तो चल रही है, लेकिन इसके लिए मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने की आवश्यकता क्यों है? अगर जांच के दौरान भी वह सरकार का काम चला सकता है, तो इस्तीफा देने का क्या फायदा? बस एक नए नेता का आगमन हो जाएगा और फिर से वही चक्र शुरू हो जाएगा।
Abinesh Ak
अक्तूबर 6, 2024 AT 11:25अरे भाई, ये तो बस एक नाटक है जिसमें सभी अभिनेता अपने अपने डायलॉग पढ़ रहे हैं। कांग्रेस का बयान तो बिल्कुल बोरिंग है - "हम बेगुनाह हैं"। बीजेपी का बयान? बस एक दूसरे नाटक का अंतिम दृश्य। लोकायुक्त को मुक्त हाथ दो? अरे यार, लोकायुक्त का भी अपना बैकग्राउंड होता है। ये सब एक बड़ी भारतीय फिल्म है जिसका एंडिंग किसी को नहीं पता।
Ron DeRegules
अक्तूबर 6, 2024 AT 19:20राजनीतिक जिम्मेदारी का मुद्दा वास्तव में नैतिकता और व्यवस्था के बीच की अंतराल को दर्शाता है। जब कोई व्यक्ति एक उच्च पद पर होता है तो उसकी निष्पक्षता की जांच न केवल उसके लिए बल्कि समाज के लिए भी आवश्यक है। इस्तीफा देने की बात केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक संकेत है कि व्यक्ति जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। यह एक राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि एक नैतिक निर्णय है। यदि इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो यह लोकतंत्र के लिए एक खतरा है।
Manasi Tamboli
अक्तूबर 7, 2024 AT 11:50इतनी बड़ी बात है और तुम सब इस्तीफे के बारे में बात कर रहे हो? लेकिन क्या कोई इस बात पर विचार कर रहा है कि जिन लोगों ने इस घोटाले में भाग लिया, उनके बच्चे अब क्या करेंगे? उनके घरों में खाना कैसे आएगा? ये सब राजनीति तो बस बाहरी दिखावा है। असली दर्द तो वो है जो बिना बोले रह जाता है।
Pal Tourism
अक्तूबर 9, 2024 AT 02:19abhi toh bas ek baat yaad rakhna, jab bhi kisi ko kuch bolna ho toh uski baat sunne ki koshish karo, na ki sirf apni baat ka dhamaka karo. yeh sab kuch jyada hi drama hai. kuch log toh apne liye hi kuch karna chahte hai. aur kuch log bas khud ko hero bana rahe hai. koi sach bolne wala nahi hai.