रिटायरमेंट के बाद बढ़ी हुई वेतन: लोकप्रियता का जादू
क्रिकेट की दुनिया में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो अपने समय के महान क्रिकेटर रहे हैं। इन खिलाड़ियों की लोकप्रियता उनके खेल करियर के दौरान ही नहीं बल्कि रिटायरमेंट के बाद भी बनी रहती है। वास्तव में, कई पूर्व क्रिकेटरों को रिटायर होने के बाद उनके पूर्व वेतन से कहीं ज्यादा कमाई हो रही है। यह न केवल उनकी बढ़ती लोकप्रियता बल्कि उनके ब्रांड वैल्यू और कुशलता के कारण है।
ऐसे क्रिकेटरों की मौजूदगी
कुछ सबसे प्रसिद्ध चेहरे जैसे कि सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, और विराट कोहली ने अपने रिटायरमेंट के बाद भी क्रिकेट में योगदान देने वाले आला स्तर के कार्यों का निर्वाह किया है। इन खिलाड़ियों ने अपनी मार्केट वैल्यू को न केवल क्रिकेट के मैदान पर बल्कि विज्ञापनों और व्यवसायिक डील्स में भी बरकरार रखा है। तेंदुलकर और धोनी जैसे क्रिकेटरों की ब्रांड वैल्यू आज भी इतनी मजबूत है कि वे अनेक बड़े ब्रांड्स के पहले पसंद बने हुए हैं।
विविध अवसर
क्रिकेट से रिटायर्ड खिलाड़ियों के लिए विभिन्न अवसर उपलबध हैं। कई खिलाड़ी अब क्रिकेट प्रशासन, कमेंट्री, और कोचिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। एमएस धोनी की बात करें तो उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ मिलकर विभिन्न सलाहकारी भूमिकाएँ निभाई हैं।
इसके अलावा, कई पूर्व खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और विभिन्न फ्रैंचाइज़ी लीगों के साथ अपने अनुभव और कौशल का उपयोग कर रहे हैं। ये क्रिकेटर टीवी चैनलों पर विशेषज्ञ कमेंटेटर के रूप में भी काम कर रहे हैं और उनकी विशेषज्ञ राय उनके उच्च वेतन और लोकप्रियता में योगदान कर रही है।
ब्रांड और एंडोर्समेंट डील्स
क्रिकेट से रिटायर होने के बाद खिलाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता और ब्रांड वैल्यू उन्हें अधिक एंडोर्समेंट डील्स दिलाने में मदद कर रही है। यह देखा गया है कि कैसे एक पूर्व खिलाड़ी जैसे विराट कोहली या सचिन तेंदुलकर, अपने सक्रिय खेल करियर के समय से अधिक एंडोर्समेंट डील्स पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
ये क्रिकेटर अपने पोस्ट-रिटायरमेंट ब्रांड प्रेजेंस का बड़े लाभ के साथ उपयोग कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और उनके प्रशंसकों की निष्ठा उन्हें बढ़ते वेतन और अन्य व्यावसायिक अवसरों में सहायक साबित हो रही है।
ऊँचे पदों पर कार्य
कई क्रिकेटरों ने रिटायरमेंट के बाद ऊँचे पदों पर काम करने का निर्णय लिया है। उदाहरण के तौर पर, महेंद्र सिंह धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान के रूप में अपने कार्यकाल के समाप्ति के बाद फ्रैंचाइज़ी में सलाहकार की भूमिका निभाई।
इसी तरह, सचिन तेंदुलकर ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ व्यावसायिक डील्स की हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। यह उनकी बढ़ती ब्रांड वैल्यू का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
फायदे और चुनौतियां
हालांकि, इन क्रिकेटरों के लिए रिटायरमेंट के बाद बढ़ती आय के साथ कई फायदे हैं, लेकिन यह एक आसान रास्ता नहीं है। खिलाड़ियों को अपने ब्रांड और लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है। यह जरूरी है कि वे अपने प्रशंसकों के साथ सक्रिय संवाद रखें और समय-समय पर नए-नए करीबियों और परियोजनाओं में शामिल हों।
कुल मिलाकर, क्रिकेट के खिलाड़ियों का रिटायरमेंट के बाद की जीवनशैली न सिर्फ उनकी अधिक आय का स्रोत बन रही है, बल्कि उनके लिए नए करियर और व्यवसायिक अवसरों का द्वार खोल रही है। यह उनके परिश्रम और लोकप्रियता का परिणाम है कि वे आज भी नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।
Sitara Nair
जुलाई 12, 2024 AT 20:21ऐसा लगता है जैसे क्रिकेट अब खेल नहीं, बल्कि एक ब्रांड इकोसिस्टम बन गया है... 🌟 जब सचिन जी ने अपना आखिरी मैच खेला था, तो मैंने सोचा अब तो बस यादें बचेंगी... पर देखो आज वो एक जीवंत इकोनॉमी हैं! 🤯 उनकी ब्रांड वैल्यू तो इतनी ज्यादा है कि उनका एक फोटो भी किसी ब्रांड के लिए बर्बरी नहीं, बल्कि बर्बरी का स्रोत बन जाता है। धोनी का जो अंदाज़ है... वो बस बोलता नहीं, बल्कि चुपचाप बाजार को ट्रेंड कर देता है। और विराट? ओह भगवान... वो तो अब एक एंटरप्रेन्योरियल एथलीट हैं, जिनका हर ब्लॉग पोस्ट एक बिजनेस डील बन जाता है। ये सब तो जानबूझकर बनाया गया है, न कि बस भाग्य से।
Ashish Shrestha
जुलाई 12, 2024 AT 21:57ये सब बकवास है। जो खिलाड़ी अपने खेल में नहीं बन पाया, वो रिटायरमेंट के बाद ब्रांड बनने की बात कर रहा है। आपको याद है वो 500 खिलाड़ी जो 2000 के बाद आए और अब बिल्कुल गायब? उनकी ब्रांड वैल्यू क्या है? शून्य। क्योंकि उन्होंने कभी लोगों के दिल में जगह नहीं बनाई।
Mallikarjun Choukimath
जुलाई 14, 2024 AT 15:30क्या आपने कभी सोचा है कि यह ब्रांड वैल्यू का जादू, वास्तव में एक नवीनतम धर्म है? जिसमें खिलाड़ी देवता बन जाते हैं, और हम, दर्शक, उनके चरणों में आर्थिक प्रार्थना करते हैं? सचिन का एक शूज़ एंडोर्समेंट तो अब एक आध्यात्मिक अनुभव है - जिसमें आप न सिर्फ एक उत्पाद खरीदते हैं, बल्कि उनकी अनंत अहंकार की छाया में शरण लेते हैं। यह न केवल क्रिकेट है... यह एक सामाजिक रूपांतरण है।
Priyanjit Ghosh
जुलाई 15, 2024 AT 02:26लेकिन भाई, इतने सारे एंडोर्समेंट और ब्रांड्स तो बस इसलिए हैं क्योंकि भारत में क्रिकेट के बाहर कुछ नहीं है 😅 अगर बॉलीवुड का एक अभिनेता बर्फ पर खेले, तो वो भी 100 करोड़ का डील कर लेगा! ये बात सच है - जहाँ खेल का महत्व है, वहाँ ब्रांड का भी महत्व है।
Divya Anish
जुलाई 16, 2024 AT 03:05मैंने एक बार एक फ्रेंचाइज़ी लीग के बैकस्टेज में एमएस धोनी को देखा था - वो बिल्कुल शांत थे, बस एक टीम के युवा खिलाड़ियों को सलाह दे रहे थे। उनकी ब्रांड वैल्यू उनके बाहरी लुक नहीं, बल्कि उनकी शांति और विश्वास की भावना से बनती है। ये जो लोग कहते हैं कि ये सब सिर्फ पैसे का खेल है... वो शायद उनकी आत्मा को नहीं जानते।
Abhishek Abhishek
जुलाई 17, 2024 AT 05:24क्या आपने कभी सोचा कि जब विराट कोहली ने टीम इंडिया छोड़ी, तो क्या वो रिटायर हुए या सिर्फ अपनी ब्रांड वैल्यू को अपग्रेड करने के लिए एक नया चरण शुरू किया? ये तो बस एक बड़ा सा रिस्ट्रक्चरिंग है - खिलाड़ी नहीं, एक कॉर्पोरेट एंटिटी बन गया।
Ankit gurawaria
जुलाई 18, 2024 AT 09:30देखो, ये सब बातें तो अच्छी हैं... लेकिन क्या हुआ उन लोगों के साथ जिन्होंने देश के लिए खेला, लेकिन अब बीमारी के कारण दवाइयाँ नहीं खरीद पा रहे? आज एक खिलाड़ी जिसने 200 मैच खेले, उसकी ब्रांड वैल्यू 500 करोड़ है... लेकिन एक दूसरे खिलाड़ी की जिसने 50 मैच खेले और अब टैक्सी चला रहा है - उसकी ब्रांड वैल्यू? जीरो। ये न्याय है? ये तो एक नए तरह का असमानता का अभिनय है।
Hiru Samanto
जुलाई 18, 2024 AT 21:11सचिन जी के ब्रांड की वैल्यू तो बहुत ज्यादा है... लेकिन उनके बारे में सोचो तो उन्होंने जब भी कुछ किया तो वो बहुत शांति से किया... जैसे कि उन्होंने खेला तो वो बहुत बड़ा हुआ... लेकिन बाहर आए तो वो बहुत छोटे रहे... ये तो असली ग्रेस है
Anuj Tripathi
जुलाई 20, 2024 AT 14:44हां भाई, लेकिन अगर ये सब ब्रांड वैल्यू इतनी ज्यादा है तो फिर ये नए खिलाड़ी जो आ रहे हैं... उनके लिए क्या? क्या वो भी अपने जीवन के बाद एक ब्रांड बनेंगे? या फिर बस एक और आंकड़ा बन जाएंगे? ये तो अब एक रियलिटी शो बन गया है न?
Harsh Bhatt
जुलाई 22, 2024 AT 11:10तुम सब बहुत आसानी से भावनाओं को ब्रांड में बदल देते हो... लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि एक खिलाड़ी की आत्मा कितनी टूटी हो सकती है? वो जिसने 15 साल तक रातों को जागकर ट्रेनिंग की, अब एक टीवी जॉकी बन गया - और उसके बाद वो बस एक ब्रांड का नाम है। ये न तो सफलता है... न ही विजय। ये तो एक शानदार अपवाद है - जिसे तुम गलती से उदाहरण बना रहे हो।
SANJAY SARKAR
जुलाई 22, 2024 AT 15:26ये सब तो बहुत अच्छा है... लेकिन एक बात बताओ - क्या धोनी ने अपनी ब्रांड वैल्यू के लिए अपनी बेटी के लिए एक स्कूल बनवाया? या सचिन ने अपने गाँव के लिए कोई स्कूल बनवाया? ये सब एंडोर्समेंट तो बस बाहरी दिखावा है।
md najmuddin
जुलाई 24, 2024 AT 06:09मैंने अपने छोटे भाई को देखा है - वो धोनी के बारे में हर दिन बात करता है... उसकी आँखों में एक जुनून है। ये ब्रांड वैल्यू तो बस एक शब्द है... असली बात तो ये है कि एक खिलाड़ी ने एक बच्चे के दिल में एक सपना जगाया। ये तो कोई ब्रांड नहीं... ये तो एक जीवन है।
Avinash Shukla
जुलाई 25, 2024 AT 16:33हम सब इतने जल्दी ब्रांड की बात कर लेते हैं... लेकिन क्या हमने कभी ये सोचा कि एक खिलाड़ी के लिए रिटायरमेंट के बाद भी लोगों की नजरें उस पर टिकी रहना एक बहुत बड़ा बोझ हो सकता है? वो जो चाहता है कि बस शांति से अपना बचपन जीए... लेकिन लोग उसे एक ब्रांड बनाने के लिए दबाव डालते हैं।
dinesh singare
जुलाई 26, 2024 AT 04:24ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं... लेकिन एक बात बताओ - क्या आपने कभी देखा है कि जब कोई खिलाड़ी रिटायर होता है तो उसके बाद के एंडोर्समेंट डील्स में उसकी आवाज़ बिल्कुल नहीं होती? वो सिर्फ एक चेहरा हो जाता है... जिसकी आवाज़ कोई और बोलता है। ये तो एक बड़ा धोखा है।
Ravi Gurung
जुलाई 27, 2024 AT 06:55क्या आपने कभी सोचा कि अगर ये सब ब्रांड वैल्यू इतनी ज्यादा है तो फिर भारतीय क्रिकेट बोर्ड क्यों नहीं उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक रिटायरमेंट प्लान बनाता जिन्होंने देश के लिए खेला? बस एक बार चिंता करो... इस बार नहीं तो अगली बार