ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के विशेष सचिव डी एस कुटे चुनावी दखलअंदाजी के लिए निलंबित
मई, 29 2024ओडिशा में चुनावी हस्तक्षेप का मामला
ओडिशा में चुनावी मसला एक नया मोड़ ले चुका है। चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के विशेष सचिव डी एस कुटे को चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप में निलंबित कर दिया है। यह निलंबन महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह कदम 1 जून को होने वाले अंतिम चरण के चुनावों से पहले उठाया गया है। इस चरण में छह लोकसभा सीटों पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
डी एस कुटे, जो 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, को मुख्यमंत्री कार्यालय में एक शक्तिशाली नौकरशाह माना जाता था। उनके निलंबन के फैसले ने ओडिशा की राजनीतिक हलचल में एक नई जान डाल दी है। चुनाव आयोग ने उन्हें चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप का दोषी बताया है।
आयोग का कड़ा रुख
चुनाव आयोग ने इस मौके पर एक और आईपीएस अधिकारी, आशीष सिंह के खिलाफ कदम उठाने का निर्देश भी जारी किया है। आशीष सिंह, जिन्हें अप्रैल में केंद्रीय रेंज आईजी पद से स्थानांतरित किया गया था, इस समय चिकित्सा अवकाश पर हैं। आयोग ने उन्हें गुरुवार को चिकित्सा बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
इस घटनाक्रम ने ओडिशा सरकार को अचंभित कर दिया है। सरकार को गुरुवार तक कुटे के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले, चुनाव आयोग ने चेतावनी दी थी कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, जो चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं।
अगला चरण और राजनीतिक संघर्ष
ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बीजू जनता दल (बीजेडी) के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। राज्य की छह लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में दोनों दल अपनी ताकत झोंक चुके हैं। इस संदर्भ में, डी एस कुटे का निलंबन और उन पर लगाए गए आरोप राजनीतिक सरगर्मी को और भी बढ़ा सकते हैं।
चुनाव आयोग के इस कदम को चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार की चुनावी गड़बड़ी को सहन नहीं किया जाएगा।
समय की कसौटी पर आयोग
चुनाव आयोग का यह फैसला एक महत्वपूर्ण समय पर लिया गया है, जब चुनावी परिदृश्य में गहमा-गहमी बढ़ी हुई है। ऐसे में आयोग का कड़ा रुख यह साबित करता है कि वे चुनावी प्रक्रिया को शुद्ध और निष्पक्ष बनाए रखने के प्रति गंभीर हैं।
ओडिशा की जनता एक बार फिर चुनाव के मैदान में उतरने के लिए तैयार है, लेकिन इस बार परिस्थिति थोड़ी अलग है। जनता की नजरें अब इस मामले के अगले विकास पर टिकी हैं, खासकर तब जब चुनावी परिणामों के आने की घड़ी नजदीक है।