प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति का निधिन: दिल्ली अस्पताल में 84 वर्ष की आयु में निधन
अग॰, 4 2024भारतीय शास्त्रीय नृत्य की धरोहर, प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति का 3 अगस्त, 2024 को निधन हो गया। वे 84 वर्ष की थीं और दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उम्र सम्बन्धित समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके निधन से भारतीय कला और संस्कृति जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। यामिनी कृष्णमूर्ति एक ऐसी नृत्यांगना थीं जिन्होंने भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्य शैलियों में अपनी महारत से दुनियाभर में ख्याति प्राप्त की।
यामिनी कृष्णमूर्ति का जन्म तमिलनाडु के मदनापल्ली शहर में हुआ था। बचपन से ही उनकी नृत्य में विशेष रुचि थी और वे मात्र 5 वर्ष की आयु में ही भरतनाट्यम सीखने लगीं थी। अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिभा से उन्होंने नृत्य के क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान बनाया। उन्होंने देश-विदेश में कई मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया और हर बार अपने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
यामिनी जी का प्रदर्शन सटीक तकनीक, अभिव्यक्ति की गहराई और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक था। उनकी नृत्य मुद्राएं और भावुकता ऐसी थीं कि दर्शक हर बार उनकी अद्भुत प्रस्तुति की तारीफ करने को मजबूर हो जाते थे। उनकी पारंगतता के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हर प्रस्तुति को ऐसे किया मानो वह उनका आखिरी प्रदर्शन हो।
उनकी शानदार कला यात्रा को मान्यता देते हुए उन्हें 2016 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। इसके साथ ही उन्हें तिरुमला तिरुपति मंदिर के निवासी नर्तक के रूप में भी सम्मानित किया गया, यह सम्मान बहुत ही विशेष माना जाता है।
यामिनी कृष्णमूर्ति का प्रसिद्ध नृत्य संस्थान 'यामिनी स्कूल ऑफ डांस' उनकी कला यात्रा का एक जीता-जागता उदाहरण है। यह संस्थान आने वाले पीढ़ियों के नर्तकों के लिए प्रेरणास्त्रोत के रूप में कार्य करता है।
यामिनी कृष्णमूर्ति के अंतिम संस्कार की तैयारी करते हुए उनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके नृत्य विद्यालय 'यामिनी स्कूल ऑफ डांस' लाया जाएगा, जहां उनके चाहने वाले उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। नृत्य की इस अमर साधिका ने अपनी कला के माध्यम से जो योगदान दिया, वह हमेशा ही स्मरणीय रहेगा।
उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है। यामिनी जी का जीवन और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। उनके निधन से उनके परिवार, प्रशंसकों और कला जगत के लोगों में गहरा शोक है। वे अपने पीछे दो बहनों को छोड़ गई हैं।
यामिनी कृष्णमूर्ति का सफर इस बात का प्रतीक है कि समर्पण और परिश्रम के बल पर कोई भी ऊँचाइयाँ छू सकता है। उनकी जीवनी और उनकी कला से जुड़े कई पहलू हैं जो न केवल नर्तकों के लिए बल्कि हर कला प्रेमी के लिए प्रेरणादायक हैं।
यामिनी कृष्णमूर्ति की असाधारण कला और उनके योगदान की चर्चा के बिना भारतीय शास्त्रीय नृत्य का इतिहास अधूरा रहेगा। वे हमेशा ही भारतीय नृत्य की महक को संजीवनी देने वाली प्रेरणा स्वरूपा के रूप में याद की जाएंगी। उनकी नृत्य यात्रा और जीवन की कहानी पर कई किताबें और आलेख लिखे गए हैं, जो उनकी विधा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनकी गहराई को दर्शाते हैं।
उनके योगदान को याद करते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले नृत्य विद्यार्थी और कलाकार उनकी यात्रा से प्रेरणा लेते रहेंगे, और उनकी विधा के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय नृत्य को और ऊँचाइयों तक पहुंचाएंगे।