सेक्टर 36 मूवी रिव्यू: विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की रोमांचक परफॉर्मेंस ने जमा दी रोंगटे
सित॰, 14 2024सेक्टर 36: रोमांच और सस्पेंस से भरी एक दिलचस्प कहानी
सिनेमा की दुनिया में क्राइम थ्रिलर का अपना एक अलग महत्व है और विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल स्टारर 'सेक्टर 36' ने इस शैली में एक नई ऊंचाई छुई है। यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और 2006 में नोएडा के निठारी इलाके में हुई भयावह हत्याओं से प्रेरित है। निर्देशक आदित्य निम्बालकर ने इस फिल्म में इस अत्यंत संवेदनशील और खौफनाक विषय को खूबसूरती से चित्रित किया है।
फिल्म की कहानी
फिल्म का प्लॉट एक गरीब इलाके की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां कई बच्चे रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते हैं। विक्रांत मैसी ने इस फिल्म में 'प्रेम सिंह' की भूमिका निभाई है, जो कहानी के आगे बढ़ते ही एक सीरियल किलर के रूप में प्रकट होता है। दीपक डोबरियाल, 'इंस्पेक्टर रामचरण पांडे' के किरदार में, प्रेम सिंह को पकड़ने की चुनौतीभरी जिम्मेदारी उठाते हैं।
कहानी में कई मोड़ हैं जब प्रेम बच्चों को अपने जाल में फंसाता है और अगवा करता है। पुलिस और अपराधी के बीच का यह खेल दर्शकों को बांधे रखता है और कहानी में गहराई से उतरने पर मजबूर करता है। फिल्म में प्रेम के बचपन की ट्रॉमा को भी दिखाया गया है, जिसने उसे यह भयानक रूप दे दिया है।
प्रदर्शन और निर्देशन
विक्रांत मैसी ने प्रेम सिंह के किरदार में एक रोंगटे खड़े कर देने वाली परफॉर्मेंस दी है। उनका चरित्र जितना खौफनाक है, उतना ही दिलचस्प भी। दीपक डोबरियाल ने इंस्पेक्टर रामचरण पांडे की भूमिका में एक दृढ़ निश्चय वाले पुलिस अधिकारी का बेहतरीन चित्रण किया है। उनके अभिनय की गहराई को देखकर प्रशंसा करनी पड़ती है।
फिल्म में एक और प्रमुख किरदार है 'मिस्टर बसी', जिसे आकाश खुराना ने निभाया है। वह अमीर और निर्दयी व्यक्ति हैं जो अंग तस्करी और अन्य घिनौनी गतिविधियों में लिप्त हैं। फिल्म की कहानी इनके चरित्र की साजिशों और अपराधों पर भी केंद्रित है।
समाज और अपराध पर नजर
यह फिल्म समाज के विभाजन और अपराध के बढ़ती उपेक्षा पर तीखा प्रहार करती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अपराध विकृत होते हैं जब उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। इंस्पेक्टर पांडे को अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मामले को बंद करने का दबाव झेलना पड़ता है, लेकिन वह अपने मिशन से डिगते नहीं हैं।
निर्देशन की बारीकियां
आदित्य निम्बालकर की निर्देशन में कठोरता और गहराई दोनों हैं। फिल्म को देखते समय दर्शकों को ऐसा महसूस होता है मानो वे खुद इन घटनाओं का हिस्सा बन गए हों। निर्देशक ने बच्चों के लापता होने, हत्या और समाज की बेरुखी को बेहद वास्तविक और संवेदनशील तरीके से दिखाया है।
अंतिम निष्कर्ष
कुल मिलाकर, 'सेक्टर 36' एक ताकतवर और निरंतर सताने वाली फिल्म है जो दर्शकों को उनकी सीट से उठने नहीं देती। हालांकि कुछ სცenes इतने गतिरोधक और परेशान करने वाले हैं कि यह फिल्म सभी दर्शकों के लिए नहीं है। निर्देशक आदित्य निम्बालकर और निर्माता दिनेश विजान के साथ-साथ फिल्म की पूरी टीम बधाई के पात्र हैं। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की अदाकारी दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेगी। यह फिल्म विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो क्राइम थ्रिलर के शौकीन हैं और ऐसी कहानियों का सामना करने की हिम्मत रखते हैं जो वास्तविकता की कठोरता को बिना किसी खामी के प्रस्तुत करती हैं।
अगर आप मनोरंजन और संवेदनशीलता के संगम को पसंद करते हैं, तो 'सेक्टर 36' अवश्य देखें। यह फिल्म सिर्फ एक थ्रिलर नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर सोचने के लिए मजबूर करने वाली एक कहानी है।