सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट
भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में 5 अगस्त को शुरुआती कारोबार में जोरदार गिरावट देखी गई। यह गिरावट वैश्विक बाजारों में बिकवाली के दबाव और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका के कारण हुई। बीएसई सेंसेक्स 2,401.49 अंक की गिरावट के साथ 78,580.46 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 489.65 अंक गिरकर 24,228.05 पर आ गया।
प्रमुख शेयरों में गिरावट
इन सूचकांकों में गिरावट का मुख्य कारण प्रमुख शेयरों का कमजोर प्रदर्शन था। टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, अडानी पोर्ट्स, मारुति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इसके विपरीत, सन फार्मा और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया।
एशियाई बाजारों पर असर
एशियाई बाजारों ने भी इस रुझान का अनुसरण किया, जहाँ सियोल, टोक्यो और हांगकांग में तीव्र गिरावट देखी गई, जबकि शंघाई ने उचाई पर बंद होने का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही अमेरिकी बाजार में भी 2 अगस्त को भारी गिरावट देखी गई, जो अमेरिकी आर्थिक मंदी की चिंताओं के कारण थी, जिसमें जुलाई महीने की कमजोर रोजगार रिपोर्ट के बाद बेरोजगारी दर 4.3% तक बढ़ गई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2 अगस्त को ₹3,310 करोड़ मूल्य के इक्विटी की बिकवाली की, जिससे बाजार में और अधिक दबाव बढ़ गया। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 'सॉफ्ट लैंडिंग' की संभावना अब खतरे में है। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ वीपी (रिसर्च) प्रशांत तापसे ने बाजार में उच्च तनाव स्तर की ओर इशारा किया और अस्थिरता का पूर्वानुमान जताया।
कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.35% बढ़कर $77.08 प्रति बैरल हो गई। बीएसई बेंचमार्क ने 2 अगस्त को पहले ही 885.60 अंक या 1.08% गिरकर 80,981.95 पर बंद हुआ था, जबकि एनएसई निफ्टी 293.20 अंक या 1.17% गिरकर 24,717.70 पर बंद हुआ था।
भविष्य की दिशा
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में बाजार की दिशा अमेरिकी आर्थिक डेटा और वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं पर निर्भर करेगी। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और लंबी अवधि के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि अल्पकालिक अस्थिरता का सामना करना चाहिए। विदेशी निवेशकों की गतिविधियों पर भी नजर रखनी होगी, क्योंकि वे आगे आने वाले चुनावी मौसम और वैश्विक मुद्रास्फीति के प्रभावों को देखते हुए अपनी रणनीतियों में बदलाव कर सकते हैं।
वर्तमान स्थिति
फिलहाल, भारतीय बाजार संवेदनशील दौर से गुजर रहा है और निवेशकों को सूझबूझ के साथ निवेश करना चाहिए। ऐसे समय में ठोस और शोधपूर्ण निवेश निर्णय ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट लंबे समय तक नहीं टिकेगी और सुधरने की संभावनाएं भी हैं। महत्वपूर्ण है कि निवेशक बाजार की मौजूदा स्थिति पर नजर रखें और अनावश्यक जोखिम से बचें।
सरकार और नीतिगत हस्तक्षेप
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से भी विभिन्न प्रकार के नीतिगत हस्तक्षेप किए जा सकते हैं ताकि बाजार में स्थिरता लाई जा सके। निवेशकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि घरेलू मौद्रिक नीतियां और सुधारात्मक कदम किस तरह प्रभाव डालेंगे। अगर सही तरीके से नीतिगत पहल की जाती है, तो बाजार में स्थिरता आ सकती है और निवेशकों का विश्वास बहाल हो सकता है।
समाप्ति
इस प्रकार, बाजार में मौजूदा गिरावट कई कारकों के संयोजन का परिणाम है, जिसमें वैश्विक आर्थिक संकेतक, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और घरेलू नीतिगत पारिस्थितिकी शामिल हैं। यह समय है सूझबूझ और समझदारी के साथ निवेश करने का, ताकि लंबी अवधि में लाभांश प्राप्त किया जा सके।
md najmuddin
अगस्त 7, 2024 AT 07:59SANJAY SARKAR
अगस्त 8, 2024 AT 07:26Divya Anish
अगस्त 9, 2024 AT 21:07Ankit gurawaria
अगस्त 9, 2024 AT 21:26Sanjay Gupta
अगस्त 11, 2024 AT 12:50Kunal Mishra
अगस्त 13, 2024 AT 02:29Anish Kashyap
अगस्त 14, 2024 AT 06:11Mayank Aneja
अगस्त 15, 2024 AT 10:43Ravi Gurung
अगस्त 17, 2024 AT 09:53AnKur SinGh
अगस्त 17, 2024 AT 23:07Poonguntan Cibi J U
अगस्त 18, 2024 AT 20:27Vishal Bambha
अगस्त 19, 2024 AT 18:34Vallabh Reddy
अगस्त 21, 2024 AT 03:32