Arattai का एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन जल्द ही, CEO मनि वेम्बु की प्राथमिकता

Arattai का एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन जल्द ही, CEO मनि वेम्बु की प्राथमिकता अक्तू॰, 9 2025

जब मनि वेम्बु, CEO Zoho Corporation ने 8 अक्टूबर 2025 को घोषणा की, तो भारत की टेक समुदाय की ठंडी नींद हिल गई। उन्होंने बताया कि Arattai ऐप में एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन को जल्द‑से‑जल्द उपलब्ध कराना उनकी "सर्वोच्च प्राथमिकता" है। यह घोषणा India Today रिपोर्टभारत के माध्यम से निकली, जहाँ इस नई सुरक्षा सुविधा के लिए आंतरिक रोडमैप का खुलासा हुआ।

अभी तक का परिदृश्य और आश्चर्यजनक वृद्धि

Arattai, जो Zoho Corporation का स्वामित्व वाला एक प्राइवेसी‑फोकस्ड मैसेजिंग और कॉलिंग प्लेटफ़ॉर्म है, 2023‑24 में भारत के बाजार में WhatsApp का "स्थानीय" विकल्प बन रहा है। सबसे बड़ा कारण? उपयोगकर्ता‑गोपनीयता। इसी कारण, पिछले तीन दिनों में दैनिक साइन‑अप 3,000 से बढ़कर 350,000 हो गया – यानी 100‑गुना उछाल। यह आँकड़ा, जिसका स्रोत GrowthJockey.com ने 2025 में प्रकाशित किया, अभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई, पर आंकड़े खुद‑से‑बोलते हैं: ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ नेटवर्क स्पीड अक्सर 0.5 Mbps से कम रहती है, Arattai की लो‑बैंडविड्थ कॉल क्लैरिटी ने उपयोगकर्ताओं को आकर्षित किया।

गोपनीयता‑पहला व्यापार मॉडल और स्थानीय‑स्पर्शी सुविधाएँ

जब बात डेटा की आती है, तो Arattai का मॉडल "कोई प्रोफ़ाइलिंग नहीं, कोई डेटा बेचना नहीं, कोई छुपी विज्ञापन नहीं" की मैनिफ़ेस्टो पर खड़ा है। यह विज्ञापन‑आधारित आय मॉडल, जिसमें उपयोगकर्ता‑डेटा को कभी भी तृतीय‑पक्ष को नहीं बेचा जाता, Zoho के मौजूदा बिज़नेस सूट के साथ पूरी तरह सामंजस्य रखता है। ऐप में 10 + भारतीय भाषा समर्थन, क्षेत्र‑विशिष्ट स्टिकर‑पैक्स, और इंटरेक्टिव स्टोरी‑फ़ीचर हैं जो WhatsApp के समान दिखते‑सुनते हैं, लेकिन भारत की सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रख कर डिज़ाइन किए गए हैं।

एक उपयोगकर्ता, सविता (भिलाई, 27 वर्ष) ने कहा, "मैं व्हाट्सऐप से थक गई थी, क्योंकि मेरा डेटा कभी‑कभी नहीं पता क्यों ट्रैक हो रहा था। Arattai ने मेरे लिए सिर्फ चैट नहीं, बल्कि भरोसा भी लाया।" वहीं, टेक विश्लेषक अर्णव कुमारी, IIT दिल्ली की प्रोफ़ेसर, टिप्पणी करती हैं, "गोपनीयता‑पहला मॉडल भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए एक बड़ा आकर्षण है, खासकर जब सरकार डेटा सुरक्षा पर कठोर नियम लागू कर रही है।"

एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन पर शीघ्र घोषणा

वर्तमान में, Arattai में एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) नहीं है, जो WhatsApp, Signal और Telegram जैसी एप्लिकेशनों में मानक सुरक्षा उपाय है। इस अंतर को पाटने के लिए, मनि वेम्बु ने कहा, "हम अगले दो‑तीन महीनों में E2EE को पूर्ण रूप से लागू करेंगे, क्योंकि यह हमारे उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।" उन्होंने बताया कि तकनीकी टीम ने पहले ही एसएसएल/TLS लेयर को मजबूत कर दिया है, और अब असिमेट्रिक कुंजी जनरेशन पर काम कर रही है।

इस कदम का असर केवल व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं तक ही सीमित नहीं रहेगा। Zoho के सीटीओ, संदीप पाँडे, ने कहा, "जब हम अपने एंटरप्राइज़ टूल्स – जैसे कि Zoho Cliq और Zoho Projects – के साथ Arattai को इंटीग्रेट करेंगे, तो एन्क्रिप्शन एक अनिवार्य सुरक्षा लेयर बन जाएगा, जो कंपनियों को भरोसेमंद संचार प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करेगा।"

भविष्य में एंटरप्राइज़ इंटीग्रेशन की संभावनाएँ

भविष्य में एंटरप्राइज़ इंटीग्रेशन की संभावनाएँ

Zoho ने पहले भी अपने उत्पादों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने का रुख अपनाया है। Arattai को Zoho की क्लाउड‑बेस्ड कार्यस्थल सूट में जोड़ने से, छोटे‑मध्यम उद्यम (SME) को एक ही लॉगिन से मैसेजिंग, डॉक्यूमेंट शेयरिंग और टास्क मैनेजमेंट सब कुछ मिल सकता है। GrowthJockey.com ने अनुमान लगाया कि यदि Arattai के 5 % उपयोगकर्ता (लगभग 17,500) इसे कार्यस्थल में अपनाते हैं, तो Zoho के वार्षिक राजस्व में $10 मिलियन से अधिक का योगदान हो सकता है।

परंतु इस इंटीग्रेशन की चुनौती डेटा‑सुरक्षा और नियामक अनुपालन है। भारतीय सरकार ने 2024 में डेटा‑लोकैलाइज़ेशन लाया, जिससे सभी भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा देश के भीतर ही रखना अनिवार्य हो गया। Arattai ने पहले ही अपने डेटा‑सेंटर को चेन्नई (चेन्नई) के निकट स्थित सर्वर फ़ार्म में शिफ्ट किया है, जिससे स्थानीय डेटा‑स्टोरेज नियम का पालन होता है।

उपभोक्ताओं और उद्योग पर संभावित प्रभाव

एप्लिकेशन की अस्मिता, विज्ञापन‑आधारित मोडेल और जल्द‑से‑जल्द E2EE की उपलब्धता भारतीय डिज़िटल इकोसिस्टम में कई बदलाव ला सकती है। पहले, बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास डेटा‑सुरक्षा के मुद्दे पर अधिक अधिकार था; अब स्थानीय प्लेटफ़ॉर्म अपने प्राइवेसी मानकों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इससे निवेशकों का विश्वास भी वफादारी बढ़ेगा।

सर्वेक्षण का एक प्राथमिक डेटा (N=1,200, conducted March 2025) बताता है कि 68 % भारतीय उपयोगकर्ता अपने मौजूदा मैसेजिंग ऐप को बदलने के लिए तैयार हैं, यदि नया ऐप "डेटा नहीं बेचता" और "उच्च‑गुणवत्ता की कॉल कवरेज" देता हो। Arattai इस खंड का प्रमुख भाग बनने की स्थिति में है।

भविष्य की राह स्पष्ट है: अगर Zoho अपनी एंटरप्राइज़ एप्प्लिकेशनों के साथ Arattai को सहजता से जोड़ पाता है, तो भारत की डिजिटल संचार परिदृश्य में एक नया मानक स्थापित हो सकता है। यह न केवल WhatsApp जैसे वैश्विक दिग्गजों को चुनौती देगा, बल्कि घरेलू स्टार्ट‑अप्स के लिए एक मॉडल भी पेश करेगा, जहाँ प्राइवेसी को लाभ के साथ जोड़ा जा सकता है।

आगे क्या देखना है?

आगे क्या देखना है?

  • ई2ईई अपडेट का सटीक रोल‑आउट शेड्यूल (अभी अनुमानित Q4 2025)।
  • Zoho के एंटरप्राइज़ सूट के साथ Arattai इंटीग्रेशन की आधिकारिक घोषणा।
  • उपयोगकर्ता‑फ़ीडबैक और संभावित बग‑फ़िक्स के बाद ऐप की रेटिंग में सुधार।
  • डेटा‑लोकैलाइज़ेशन नियमों के तहत नई सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Arattai की एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन कब शुरू होगी?

Zoho द्वारा घोषित अनुसार, एन्क्रिप्शन का पहला चरण दो‑तीन महीनों के भीतर बीटा रूप में शुरू होगा, और पूर्ण रोल‑आउट Q4 2025 के अंत तक अपेक्षित है।

क्या Arattai उपयोग डेटा को विज्ञापन के लिये बेचता है?

नहीं। कंपनी ने अपनी नीति में स्पष्ट रूप से कहा है कि वह उपयोगकर्ता प्रोफ़ाइलिंग, डेटा बिक्री या छुपी मोनिटाइजेशन नहीं करता; विज्ञापन केवल गैर‑व्यक्तिगत कंटेंट पर आधारित हैं।

Arattai किस भाषा को सपोर्ट करता है?

अभी 12 भारतीय भाषाओं – हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी, उर्दू, असमी, ओडिया और मलयालम – को पूर्ण समर्थन मिलता है, और नई भाषाओं को जोड़ने की योजना में है।

Zoho के साथ इंटीग्रेशन का क्या फायदा है?

इंटीग्रेशन से कंपनियां एक ही प्लेटफ़ॉर्म से चैट, डॉक्यूमेंट शेयरिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कर सकेंगी, जिससे प्रोसेसिंग समय घटेगा और डेटा‑सुरक्षा में सुधार होगा।

Arattai के उपयोग के लिए कौन‑सी डिवाइस सपोर्टेड हैं?

Android 5.0+ और iOS 11.0+ वाले स्मार्टफ़ोन के साथ वेब‑ब्राउज़र के माध्यम से डेस्कटॉप (Arattai Web) भी पूरी तरह सपोर्टेड हैं।

1 Comment

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    sunaina sapna

    अक्तूबर 9, 2025 AT 13:33

    Arattai का एन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन योजना भारत में डेटा सुरक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल से उपयोगकर्ताओं को उनके संचार में भरोसा मिलेगा और स्थानीय नियामक अनुपालन में मदद मिलेगी। प्राइवेसी‑फर्स्ट मॉडल को अपनाते समय संस्थाओं को तकनीकी और कानूनी दोनों पहलुओं पर सावधानी बरतनी चाहिए। इस दिशा में Zoho की रणनीतिक दृष्टि सराहनीय है।

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