जब अर्चना पूरन सिंह, 61 साल की भारतीय अभिनेत्री और द ग्रेट इंडियन कपिल शो की प्रमुख हास्य कलाकार, ने अपने बेटे अार्यमन की यूट्यूब व्लॉग में अपनी 33‑साल की शादी के दर्द और राहत की कहानी शेयर की, तो सबकी आँखें खुल गईं। उन्होंने बताया कि परमीट सेथी के साथ कई एगो टकराव, आर्थिक मतभेद और बचपन‑की जड़ें खत्म करने वाला आध्यात्मिक सफ़र उन्हें एक‑दूसरे के पास लाया। यह खुलासा 15 अगस्त 2025 को मुंबई के माध आइलैंड से जुड़ी एक परिवारिक बातचीत में हुआ।
शादी की शुरुआत और शुरुआती झगड़े
अर्चना ने 1992 में परमीट सेथी से शादी की, जब उनका पहला वैवाहिक बंधन समाप्त हुआ था। उस समय वह लखनऊ में पैदा हुई (लखनऊ) और परमीट दिल्ली‑से जन्मे (दिल्ली) थे। वे दोनों एक पार्टी में मिले, जहाँ “तुरंत जुड़ाव” महसूस हुआ – अर्चना ने फिर कहा, “मैं दोबारा शादी करने में हिचकिचा रही थी, परपरमीट ने ऐसा असर किया कि आगे बढ़ना ही सही लगा।”
शुरुआत में दो बेटे – आयुष्मान (जन्म 1997) और अार्यमन (जन्म 2000) – की परवरिश, साथ ही शहर से बाहर समुद्री रास्ते से स्कूल भेजना, दोनों को एक‑दूसरे के करीब लाया। लेकिन जैसे‑जैसे बच्चे बड़े हुए, घर‑के भीतर छोटी‑छोटी बातों से एगो का उदय हुआ। अर्चना ने कहा, “जब दोनों कमजोर हो जाते हैं, तो शादी कमजोर पड़ जाती है।”
आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स की भूमिका
परमीट ने पहले ही 1998 की हिट फ़िल्म कुच कुच होता है से लोकप्रियता हासिल की, पर उनके और अर्चना के बीच झगड़े बढ़ रहे थे। एक दोस्त की पत्नी, जो आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षित थी, ने कोर्स की सिफ़ारिश की। परमीट को “जबरदस्ती” इंगित किया गया, लेकिन अंततः वे बेंगलुरु (बेंगलुरु) की इस कार्यशाला में गये।
परमीट ने बताया, “कोर्स के बाद मेरे अंदर जो भी कचरा था, सब बाहर आ गया। मैं अपनी बहन की मौत के बारे में रोते‑रोते ख़ुद को मुक्त पाया।” इसी दौरान अर्चना ने भी पहला सुदर्शन क्रिया सत्र किया, जहाँ वह लगातार “मम्मी, मत छोड़ो” चिल्ला रही थीं, जिससे उनके बचपन‑के अनसुलझे मुद्दे सामने आ गए। दोनों ने कहा, “यह सिर्फ एक‑दूसरे के लिए तोहफ़ा नहीं, बल्कि खुद के लिये सबसे बड़ा उपहार था।”
परिवार, घर और आर्थिक मतभेद
समय के साथ, दंपति ने मुंबई के माध आइलैंड पर एक राजमहल‑जेसे घर में रहने का फैसला किया। यह स्थान एरियाबिएन सागर के किनारे स्थित है और बच्चों को नौका से स्कूल भेजना एक रोमांच था। तथापि, परमीट को अपार्टमेंट की सुविधा पसंद थी, जबकि अर्चना ने बड़े बंगले की चाह रखी। “एक और बंगला खरीदना हर चीज़ को ख़त्म कर देगा,” परमीट ने कहा, “डिवॉर्स हो जाएगा हमारा।” यह बात तब सामने आई जब अर्चना दो अतिरिक्त बंगलों की खरीदारी पर जिद कर रही थीं। अंत में दोनों ने समझौता किया और एक ही बंगलों में रहने का मार्ग चुना।
भविष्य की योजना और नए चरण
अर्चना का कहना है कि “परफेक्ट कपल” शब्द का मतलब केवल सुखी क्षण नहीं, बल्कि कठिनाइयों को पार करने में है। आज उनका बड़ा बेटा अार्यमन अभिनेत्री योगिता बिहानी से जुड़े हैं और दोबारा वही माध आइलैंड पर एक नवीनीकृत सेक्शन में शिफ़्ट होने की योजना बना रहे हैं। परिवार का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है, जहाँ नवविवाहित जोड़ी अपने सपनों के घर को अपना रही है।
विशेषज्ञों की राय
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया, “दंपति ने एगो और अनसुलझे भावनात्मक मुद्दों को पहचाना, फिर सार्वजनिक राहत के लिए आध्यात्मिक अभ्यास अपनाया – यह कई वर्षों के अनुसंधान से सिद्ध हुआ है कि समकालीन वैवाहिक समस्याओं में ‘सुदर्शन क्रिया’ जैसी तकनीकें प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं।”
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अर्चना और परमीट की शादी पर एगो टकराव का क्या असर पड़ा?
एगो टकराव ने कई बार संवाद को बाधित किया, जिससे दोनों को अलग‑हथियार दिखने लगा। लेकिन जब उन्होंने अपने भीतर के भावनात्मक कचरे को बाहर निकाला, तो रिश्ते में नई समझ और सम्मान आया, और शादी फिर से स्थिर हो गई।
आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स ने किस तरह परिवर्तन किया?
कोर्स की सुदर्शन क्रिया ने दोनों को गहरी श्वास‑लेने की आदत, भावनात्मक रिलीज़ और आत्म‑निरीक्षण सिखाया। परमीट ने अपनी बहन की मृत्यु का दर्द बयां किया, जबकि अर्चना ने बचपन के गहरे डर को उजागर किया। यह सत्र दोनों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है।
माध आइलैंड पर घर बनाना क्यों विवाद का कारण बना?
परमीट को मानना था कि दो बंगलों की रख‑रखाव से वित्तीय दबाव बढ़ेगा, जबकि अर्चना को खुली जगह और समुद्री हवा की जरूरत थी। चर्चा के बाद उन्होंने एक ही बंगलो को विस्तार के विकल्प पर सहमति जताई, जिससे आर्थिक तंगी घट गई।
परमीट की बहन की मृत्यु ने उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित किया?
बहन के निधन का दुःख परमीट के अंदर दबी भावनाओं को उत्पन्न किया, जिससे वह अक्सर चिड़चिड़े और अधीर दिखते थे। सुदर्शन क्रिया ने इस दुख को अभिव्यक्त करने की अनुमति दी, और परिणामस्वरूप उनका मनोबल फिर से उठ गया।
भविष्य में दंपति की क्या योजनाएँ हैं?
उनके बेटे अार्यमन की शादी के बाद, नई दंपत्ति वही माध आइलैंड पर अपने लिए एक नवीनीकृत निवास बनाना चाहती है। साथ ही दोनों ने कहा कि वे आध्यात्मिक अभ्यास जारी रखेंगे और अपने बच्चों को इसी रास्ते पर ले जाएंगे।
parvez fmp
अक्तूबर 16, 2025 AT 22:32अरे यार! अर्चना की कहानी सुनके दिल धड़का गया 😂😂 आध्यात्मिक सफ़र में टकराव से भी बेस्ट इफ़ेक्ट आया! वो परमीट सेथी के साथ टकराव में ही रहनुमा होकर चमकते रहे।
s.v chauhan
अक्तूबर 21, 2025 AT 13:39बिलकुल सही कहा, उनका मिलन सच में एक प्रेरणा है। ऐसे ही खुलकर बात करने से कई दंपति को रास्ता मिल सकता है।
Thirupathi Reddy Ch
अक्तूबर 25, 2025 AT 00:59सभी को पता है कि आर्ट ऑफ लिविंग कोर्डीनेट्स सिर्फ सतही नहीं होते, उनके पीछे कुछ बड़ा एक्सपेरिमेंट चल रहा है।
Sonia Arora
अक्तूबर 29, 2025 AT 02:12अर्चना ने अपने जीवन में जो आध्यात्मिक परिवर्तन किया, वह भारतीय परिवारों में अक्सर देखी जाने वाली बात नहीं। इस प्रकार के सत्रों से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
sanjay sharma
अक्तूबर 31, 2025 AT 09:46सत्रों में सुदर्शन क्रिया से तनाव कम होता है।
varun spike
नवंबर 3, 2025 AT 07:12परमीट की फिल्मी सफलता और वैवाहिक कठिनाइयाँ दंपति के विकास में योगदान देती हैं
Chandan Pal
नवंबर 6, 2025 AT 18:32वाह 😍 आध्यात्मिक सफ़र में टकराव भी तो एक तरह का बूस्टर है! कभी-कभी झगड़े हमें भीतर की गहराई तक ले जाते हैं।
SIDDHARTH CHELLADURAI
नवंबर 10, 2025 AT 05:52ऐसे ही खुलकर बात करने से और लोग भी मोटिवेट होते हैं 👍
Prince Naeem
नवंबर 14, 2025 AT 07:06आत्मनिरीक्षण का अभ्यास व्यक्तिगत और पारिवारिक संतुलन के लिए आवश्यक है।
Jay Fuentes
नवंबर 17, 2025 AT 18:26चलो, आगे भी ऐसे ही सकारात्मक रास्ते रखें, सबका जीवन खुशियों से भरपूर हो! 🌟
Veda t
नवंबर 20, 2025 AT 15:52इंडिया में ऐसे रिश्ते ही असली ताकत हैं।
Mukesh Yadav
नवंबर 24, 2025 AT 03:12कुच कुच होता है फिल्म में दिखाया गया वैभव सिर्फ पॉपुलर नहीं, बल्कि एक बड़े योजना का हिस्सा है! आध्यात्मिक टकराव भी Govt की छूट नहीं।
Yogitha Priya
नवंबर 27, 2025 AT 14:32सम्बंधों को आध्यात्मिक बनाकर ही हम नैतिकता को आगे बढ़ा सकते हैं, न कि सिर्फ बाहरी दिखावे से।
Rajesh kumar
दिसंबर 1, 2025 AT 15:46आज भारत में पारिवारिक मूल्यों का पतन दिख रहा है, लेकिन अर्चना और परमीट की कहानी हमें दिखाती है कि असली बंधन कैसे बनाना चाहिए।
आर्ट ऑफ लिविंग जैसे कोर्स केवल व्यक्तिगत विकास नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सामंजस्य भी लाते हैं।
जब दंपति ने अपने अंदर के कचरे को बाहर निकाला, तो यह एक सामाजिक मॉडल बन गया।
ऐसी पारदर्शिता से हम सभी को सीख मिलती है कि कितनी छोटी-छोटी टकराव भी मजबूत समाज की नींव बन सकते हैं।
परमीट की फिल्मी सफलता को अक्सर पॉप कल्चर समझा जाता है, पर वह राष्ट्रीय अभिमान का भी प्रतीक है।
अर्चना के दर्द और राहत की बातें हमें याद दिलाती हैं कि भारतीय महिलाएँ कितनी शक्ति रखती हैं।
वित्तीय मतभेदों को समझदारी से सुलझाना ही आर्थिक स्थिरता का रास्ता है, जो राष्ट्र के विकास में योगदान देता है।
माध आइलैंड जैसा स्थान केवल पर्यटन नहीं, बल्कि भारतीय शहरी जीवन की विविधता को दर्शाता है।
सुदर्शन क्रिया जैसी प्राचीन तकनीकें विज्ञान के भी समर्थन से सच्ची साबित हुई हैं।
यह तकनीक न केवल व्यक्तिगत तनाव को घटाती है, बल्कि राष्ट्रीय मनोबल को भी ऊँचा करती है।
जब युवा वर्ग इस तरह के अभ्यास को अपनाता है, तो भारतीय शक्ति का विस्तार स्पष्ट हो जाता है।
अर्चना और परमीट की कहानी हमें दिखाती है कि प्रेम और आध्यात्मिकता का संगम राष्ट्र को मजबूत बनाता है।
हमारी राष्ट्रीय नीति को भी ऐसे व्यक्तिगत परिवर्तन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
विरोध और टकराव को सकारात्मक ऊर्जा में बदलना ही असली विकास का मार्ग है।
इसलिए हमें इन कहानियों को एक प्रेरणा के रूप में लेकर आगे बढ़ना चाहिए, ताकि हमारा भारत विश्व में सबसे अनूठा और सुदृढ़ nation बन सके।