कोलकाता रेप-मर्डर केस: देशभर के अस्पतालों में डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल
अग॰, 12 2024कोलकाता रेप-मर्डर केस: देशभर के अस्पतालों में डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल
कोलकाता में एक युवा महिला डॉक्टर के बलात्कार और निर्मम हत्या के विरोध में डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल सोमवार से शुरू हुई, जिसने देशभर के कई सरकारी अस्पतालों में स्वैच्छिक सेवाओं को रोक दिया है और मरीजों की देखभाल को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। पीड़िता, जो एक 31 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट ट्रेन ई थी, का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला, जिसमें उसे बार-बार चोटें आई थीं, जो यौन उत्पीड़न और हत्या को दर्शाती हैं।
पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को इस अपराध के संबंध में हिरासत में लिया है, जो उसी अस्पताल में काम करता था। यह हड़ताल न्याय और स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपायों की मांग के तहत की जा रही है। डॉक्टर इस घटना की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं और वर्तमान पुलिस जांच से असंतुष्ट हैं।
सुरक्षा के उपायों की मांग
वे सुरक्षा बढ़ाने, सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कार्यस्थल हिंसा से बचाने के लिए विशेष कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इंडियन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने इस हड़ताल का समर्थन किया है, और देश के विभिन्न हिस्सों के डॉक्टर भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक निष्पक्ष जांच और सुरक्षा बढ़ाने की अपील की है। इस घटना ने अस्पताल सुरक्षा के मुद्दों पर अपने विचारों को दोहराया है, जिसमें संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कवरेज की कमी, ऑन-कॉल डॉक्टरों के लिए उचित विश्राम कक्षों की कमी, और रात के समय अस्पताल में प्रवेश करने वाले बाहरी लोगों की जांच की कमी शामिल है।
प्रदर्शनकारियों ने अस्पतालों के असुरक्षित माहौल को उजागर किया है और डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के उपायों पर जोर दिया है। हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक डॉक्टर वर्तमान जांच और सुरक्षा उपायों के साथ संतुष्ट नहीं होते और दोषी को कठोरतम सजा दिलाने और लंबी अवधि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय नहीं किए जाते।
डॉक्टरों की मांगें और आरोप
इस हड़ताल को लेकर डॉक्टरों ने कुछ विशेष मांगे भी उठाई हैं। उन्होंने अस्पताल की सुरक्षा में खामियों पर सवाल उठाया है, जिसमें संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की कमी, बाहरी लोगों की अपर्याप्त जांच और स्थायी ऑन-कॉल डॉक्टरों के लिए विश्राम स्थलों की अनुपस्थिति शामिल है।
डॉक्टरों का कहना है कि स्वास्थ्य कर्मचारी अत्यधिक तनाव और खतरे में काम कर रहे हैं, और उनके कार्यस्थल की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इसके लिए वे अस्पताल के हर कोने में सीसीटीवी की मांग कर रहे हैं जिससे सुरक्षा में किसी तरह की चूक न हो।
मनुष्यों के प्रति व्यवहारगत बदलाव आवश्यक
स्वास्थ्य कर्मचारियों का यह भी कहना है कि समाज में सुरक्षा के प्रति लोगों का मनोवृत्ति में बदलाव की जरूरत है। वर्तमान में स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रति हिंसा और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है, जो उनके काम में बाधा उत्पन्न कर रही है।
यह हड़ताल इस बात का संकेत है कि चिकित्सक अपने हितों के लिए एकजुट हैं और अपने कार्यस्थल की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। डॉक्टरों का यह कदम स्वास्थ्य क्षेत्र के सुरक्षा उपायों को नया दृष्टिकोण देने का प्रयास है, जिसमें उनकी सुरक्षा सर्वोपरि हो।
आगे की राह
स्वास्थ्य मंत्रालय और चिकित्सा प्रबंधन को इस घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में, जब स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जाती हैं, तो आम जनता पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। उपचार की अनुपलब्धता से भारी संख्या में मरीजों की जिंदगी दांव पर लग जाती है।
इसके लिए जरूरी है कि राज्य और केंद्रीय स्तर पर सख्त सुरक्षा उपाय अपनाए जाएं और डॉक्टरों के कार्यस्थल की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। समाज को भी यह समझना होगा कि स्वास्थ्य कर्मचारी उनके जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के उद्देश्य से काम करते हैं और उनको सुरक्षा प्रदान करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह याद दिला दिया है कि हमें अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। बिना किसी भौतिक या मानसिक सुरक्षा के उनके काम की प्रगति नहीं हो सकती।
इस मुद्दे को हल करने और डॉक्टरों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार बनाए रखने के लिए सरकार और प्रशासन को तुरंत और कारगर कदम उठाने होंगे। यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक डॉक्टरों की मांगे पूरी नहीं होती और सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती।