समारोह की मुख्य बातें
10 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के एक सुसंस्कृत सभागार में पी.वी. नारसिंह राव मेमोरियल फाउंडेशन ने अपने प्रमुख पुरस्कार का वितरण किया। इस बार की शपथ विशेष थी, क्योंकि इसे मनमोहन सिंह को पोस्ट‑ह्यूमैस रूप में दिया गया। उनके जीवनसाथी, गुरशरण कौर ने पुरस्कार का लिफाफा अपने पति की ओर से स्वीकार किया। प्रस्तुतकर्ता मोन्तेक सिंह अहलूवालिया, जो पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष और अब सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रॉसेंस में विशिष्ट सदस्य हैं, ने सम्मानित को संबोधित किया।
समारोह में फाउंडेशन के अध्यक्ष के. रामचंद्र मूर्ती, महासचिव मधँचेत्ती अनिल कुमार, साथ ही कई आर्थिक सलाहकार, नीति निर्माता और शैक्षणिक विद्वान उपस्थित रहे। सभी ने मनमोहन सिंह की आर्थिक दृष्टि और 1990‑91 के दौर में नरेंद्र मोदी के सहयोगियों के साथ मिलकर किए गए मुक्तावस्था, निजीकरण और वैश्वीकरण के कदमों को सराहते हुए एकत्रित हुए।
मनमोहन सिंह की आर्थिक यात्रा
मनमोहन सिंह का आर्थिक सफ़र 1970 के दशक से शुरू होता है। वे 1972‑1976 के बीच भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Adviser) रहे, जहाँ उन्होंने गरीबी घटाने के लिए मौद्रिक नीतियों पर शोध किया। 1976‑1980 में उन्होंने वित्त मंत्रालय के सचिव के रूप में कार्य किया, जिससे उनका वित्तीय नियोजन में अनुभव गहरा होकर उभरा।
1982‑1985 में उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक के 15वें गवर्नर का पद संभाला। इस दौरान उन्होंने मौद्रिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए कई नीतिगत उपाय अपनाए, जिससे भारतीय पैसा स्थिर बना। कुछ वर्षों बाद, 1985‑1987 में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने और राष्ट्रीय विकास योजना तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
1990‑1991 में वे प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार रहे, और 1991 में पी.वी. नारसिंह राव के प्रधानमंत्री पद संभालने पर उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। यही वह मोड़ था, जब उन्होंने 1991 की आर्थिक सुधार पैकेज को लागू किया, जिसमें आयात बाधाओं का हटाना, विदेशी निवेश को आकर्षित करना, सार्वजनिक उद्यमों की निजीकरण प्रक्रिया और विनिर्माण क्षेत्र को खुला करना शामिल था। इन कदमों ने भारत को केंद्रीकृत नियोजित अर्थव्यवस्था से गैर‑निर्धारित उदारीकरण की ओर धकेला।
इन उपलब्धियों के अलावा, मनमोहन सिंह ने 2004‑2014 तक भारत के 13वें प्रधान मंत्री के रूप में दो लगातार कार्यकाल में सेवा की। उनके प्रशासन में आर्थिक स्थिरता, डिजिटल भारत और आधुनिकीकरण के कई पहलुओं को आगे बढ़ाया गया। इस सम्मान के द्वारा फाउंडेशन ने यह दर्शाया कि उनके द्वारा स्थापित नीतियां अभी भी भारत की आर्थिक दिशा को आकार दे रही हैं।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972‑1976)
- वित्त सचिव (1976‑1980)
- रिज़र्व बैंक गवर्नर (1982‑1985)
- योजना आयोग उपाध्यक्ष (1985‑1987)
- वित्त मंत्री (1991‑1996)
- प्रधान मंत्री (2004‑2014)
पी.वी. नारसिंह राव मेमोरियल फाउंडेशन ने इस पुरस्कार के माध्यम से दो महान आर्थिक मस्तिष्कों—पी.वी. नारसिंह राव और मनमोहन सिंह—के बीच के सहयोग को उजागर किया। यह सहयोग ही 1990‑यों के दशक में भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने का मूलभूत कारण माना जाता है।
Reetika Roy
सितंबर 27, 2025 AT 20:30Pritesh KUMAR Choudhury
सितंबर 29, 2025 AT 20:13Mohit Sharda
अक्तूबर 1, 2025 AT 09:02Sanjay Bhandari
अक्तूबर 3, 2025 AT 08:13Mersal Suresh
अक्तूबर 3, 2025 AT 08:27Pal Tourism
अक्तूबर 4, 2025 AT 07:20Sunny Menia
अक्तूबर 4, 2025 AT 15:52Abinesh Ak
अक्तूबर 6, 2025 AT 11:50Ron DeRegules
अक्तूबर 7, 2025 AT 05:54Manasi Tamboli
अक्तूबर 9, 2025 AT 02:05Ashish Shrestha
अक्तूबर 10, 2025 AT 14:53Mallikarjun Choukimath
अक्तूबर 12, 2025 AT 14:07Sitara Nair
अक्तूबर 13, 2025 AT 01:37Abhishek Abhishek
अक्तूबर 13, 2025 AT 11:26Avinash Shukla
अक्तूबर 15, 2025 AT 00:56Harsh Bhatt
अक्तूबर 16, 2025 AT 21:18dinesh singare
अक्तूबर 17, 2025 AT 04:58Priyanjit Ghosh
अक्तूबर 17, 2025 AT 18:19