आपने शायद "3डी प्रिंटिंग" शब्द सुना होगा, लेकिन एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग उससे थोड़ा अलग है. यहाँ हम परत‑परत सामग्री जोड़कर वस्तु बनाते हैं, न कि धातु या प्लास्टिक को काटते हैं. इस तरीके से जटिल डिज़ाइन जल्दी और कम कचरे के साथ तैयार होते हैं.
सबसे पहले डिजिटल मॉडल तैयार होता है – CAD सॉफ्टवेयर में डिजाइन। फिर प्रिंटर उस डेटा को ले कर सामग्री (प्लास्टिक, धातु पाउडर या रेजिन) को एक‑एक परत डालता है. हर परत ठंडी या कठोर होकर अगले परत के ऊपर बंधती है, और अंत में पूरी चीज़ तैयार हो जाती है.
मुख्य कदम तीन हैं: डिजाइन, स्लाइसिंग और प्रिंटिंग. डिज़ाइन में आप आकार तय करते हैं, फिर सॉफ्टवेयर मॉडल को बहुत पतली परतों में काटता है – इसे स्लाइस कहा जाता है. इस फाइल को प्रिंटर समझता है और सामग्री को निर्धारित स्थान पर डालता है.
प्रक्रिया के दौरान दो मुख्य तकनीकें मिलती हैं: फ़्यूज़्ड डिपोज़िशन मॉडेलिंग (FDM) जहाँ गर्म थर्मोप्लास्टिक को पिघलाकर ड्रॉप बनाते हैं, और सिलेक्टिव लेज़र मेल्टिंग (SLM) जहाँ धातु पाउडर को लेज़र से घना किया जाता है. दोनों के अपने‑अपने फायदे हैं – FDM सस्ता और आसान, SLM उच्च शक्ति वाले हिस्से बनाता है.
देश में अब कई स्टार्टअप और बड़े उद्योग एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग को अपनाने लगे हैं. ऑटोमोबाइल कंपनियां हल्के वजन के पार्ट बना रही हैं, स्वास्थ्य क्षेत्र में कस्टम इम्प्लांट तैयार हो रहे हैं, और ज्वेलरी में डिज़ाइन की सीमा बढ़ी है.
फायदे स्पष्ट हैं – कम टूलिंग लागत, तेज़ प्रोटोटाइप बनाना, और अनुकूलन क्षमता. लेकिन चुनौतियां भी मौजूद हैं: उच्च शुरुआती निवेश, सामग्री की सीमित उपलब्धता, और कुशल इंजीनियरों की कमी. सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत कुछ सब्सिडी दी है, फिर भी निजी कंपनियों को टेक्नोलॉजी में लगातार अपडेट रहना पड़ेगा.
भविष्य की बात करें तो 2030 तक भारत का एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग बाजार 10‑12 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है. अगर आप छोटे व्यवसायी हैं, तो प्रोटोटाइप बनाकर ग्राहक को दिखाना आसान हो जाएगा. बड़े उद्योगों के लिए यह उत्पादन लाइन में लचीलापन और लागत घटाने का तरीका बन सकता है.
तो संक्षेप में, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग सिर्फ एक नई मशीन नहीं, बल्कि एक पूरी सोच बदलने वाली तकनीक है. इसे समझकर आप अपने काम या व्यवसाय को तेज़, किफायती और पर्यावरण‑अनुकूल बना सकते हैं. आगे बढ़ते रहें, सीखें और इस बदलाव का हिस्सा बनें.
बुगाटी ने डाइवर्जेंट टेक्नोलॉजीज के साथ पार्टनरशिप की है ताकि उनकी नई हाइपरकार टूरबिलॉन के चेसिस और सस्पेंशन की एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की जा सके। इस सहयोग से बुगाटी को कार के वजन को कम करते हुए परफॉर्मेंस में सुधार करने में मदद मिलेगी। टूरबिलॉन 445 किमी/घंटा की टॉप स्पीड हासिल कर सकती है और इसमें 1,800 एचपी की पावर है।