आपने कभी सोचा है कि हर महीने का चंद्रमा जब आधा घटित हो जाता है तो लोग क्यों व्रत रखते हैं? वही है एकादशी। यह हिन्दू धर्म में विष्णु भगवान को समर्पित विशेष दिन है जहाँ कई लोग भोजन से परहेज़ करके आत्मशुद्धि और स्वास्थ्य लाभ की आशा करते हैं।
हर माह दो एकादशी होती है – शुक्ल पक्ष में (चाँद का बढ़ना) और कृष्ण पक्ष में (चाँद का घटना)। जब चंद्रमा के कक्ष में 11वें दिन पर स्थित होता है तो उसे एकादशी कहा जाता है, इसलिए इसका नाम “एक-आदि‑शि” यानी ‘ग्यारहवां तिथि’ से आया। पुराणों में लिखा है कि इस दिन विष्णु भगवान ने ब्रह्मा और महर्षियों को उपवास के महत्व की शिक्षा दी थी, जिससे यह व्रत आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बन गया।
सबसे पहले दिन में सूर्योदय से पहले जल या फल (जैसे खजूर, अंजीर) लेकर हल्का नाश्ता करें। फिर दोपहर के बाद कोई भी भोजना नहीं लें; पानी, नारियल पानी और फलों का रस ही पर्याप्त है। अगर आप पूरी तरह से रसोई बंद रखना चाहते हैं तो सिर्फ शुद्ध जल पी सकते हैं। व्रत का मुख्य उद्देश्य मन को शांत करना और इंद्रियों पर नियंत्रण सीखना है, इसलिए ध्यान या योग भी इस समय में मददगार होते हैं।
व्रत समाप्त करने के लिए एकादशी की शाम को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, सफेद चाँदी) या फल का हल्का प्रसाद लें। यह शरीर को धीरे‑धीरे भोजन में लौटाता है और पाचन प्रक्रिया को सहज बनाता है।
कुछ विशेष एकादशी जैसे ‘विनायक एकादशी’, ‘सौम्य एकादशी’ आदि के लिए मंदिरों में दान या कीर्तन का भी प्रचलन है। यदि आप स्थानीय मंदिर जा सकें तो वहाँ प्रसाद लेना और भगवान विष्णु को अर्पित करना आपके व्रत में अतिरिक्त पुण्य जोड़ता है।
एकादशी का पालन करने वाले कई लोग कहते हैं कि इससे वजन कम होता है, रक्त शर्करा स्तर स्थिर रहता है और मन की स्पष्टता बढ़ती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अंतराल उपवास (इंटरमिटेंट फास्टिंग) के समान लाभ मिलते हैं – शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन का मौका मिलता है और मेटाबॉलिज़्म सक्रिय होता है।
ध्यान रखें कि हर साल की एकादशी तिथियां चंद्र कैलेंडर पर निर्भर करती हैं, इसलिए सही तारीख जानने के लिए पंचांग या विश्वसनीय मोबाइल ऐप देखना बेहतर रहेगा। कई लोग अपने सामाजिक नेटवर्क में भी ‘एकादशी’ टैग से जुड़ी खबरें और विशेष लेख पढ़ते हैं – यह आपके अनुभव को समृद्ध कर सकता है।संक्षेप में, एकादशी सिर्फ भोजन पर रोक नहीं बल्कि आत्म‑विकास का अवसर है। इसे सही तरीके से अपनाएँ, स्वस्थ रहें और अपने जीवन में शांति का आनंद लें।