भाइयों और बहनों, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितंबर को पड़ रही है। अगर आप तिथि या समय के बारे में उलझन में हैं तो चिंता मत कीजिए – यहाँ सब कुछ आसान भाषा में बताया गया है।
विवरण अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी 2024 के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 सितंबर (शनिवार) तय किया गया है। शाम को सूर्य ढलते ही दुर्गा अष्टमि की रात शुरू होती है और अगले दिन सुबह तक रात्रि जागरण चल सकता है। यदि आप पंचांग देख रहे हैं तो देखें – नवमी का दिन ही जन्माष्टमी माना जाता है, इसलिए यह तारीख सही है।
पूजा में मुख्य रूप से दूध, घी, शक्कर, पंखा (हल्दी), मोतीमली का उपयोग होता है। घर पर अगर बांस के पीले फूल नहीं मिल रहे हों तो ग्रीन टिंडर या मिर्च की पत्तियों से भी काम चल सकता है। सबसे सरल तरीका – एक साफ थाली में घी डालें, उस पर शुद्ध दही और शक्कर मिलाकर कन्हैया लड्डू बनाएँ और भगवान को अर्पित करें। पूजा के बाद फाल्गुनी (भोग) के रूप में कच्चा नारियल और फल रखें।
रात्रि जागरण का सबसे बड़ा आकर्षण है भजनों की धुन. अगर आपके पास डीज़ल या इलेक्ट्रिक स्पीकर नहीं है, तो मोबाइल पर ‘कृष्ण भजन’ प्ले करें। गाओ, नाचो और अपने मन को शुद्ध रखें – यही असली पूजा का मकसद है।
व्रत रखने वाले लोग आम तौर पर फल, दूध, घी और हल्दी से बना खाना खाते हैं। अगर आपको पनीर या दही पसंद नहीं तो आप सादा उबला आलू भी खा सकते हैं। पानी कम न पीएँ – दिन में 8‑10 गिलास जल रखें ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
शहरों में कई मंदिर विशेष कार्यक्रम रखते हैं: दिल्ली के कृष्णा मंदिर, मुंबई के साईबाबा मंदिर और कोलकाता का जगन्नाथ पुरी। इन जगहों पर भजन‑कीर्तन, झांकियों और मिठाइयों की थालियां लगती हैं। अगर आप बाहर जा रहे हैं तो पहले कॉल करके समय देख लें, क्योंकि कुछ स्थानों में भीड़ के कारण प्रवेश सीमित हो सकता है.
घर पर ही रहने वाले लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं – फेसबुक या इंस्टाग्राम पर लाइव स्ट्रीम देखें और साथ‑साथ भागीदारों को बधाई दें। यह तरीका खासकर कोविड‑19 जैसी परिस्थितियों में सुरक्षित रहता है।
भोजन के बाद सफाई भी जरूरी है। पूजा स्थल को साफ़ कपड़े से पोंछें, कच्चे नारियल की छाल और फूल हटाएँ ताकि कोई बीमार न हो। यह छोटा कदम आपके घर में शुद्धता बनाए रखेगा.
कृष्ण जन्माष्टमी पर बच्चे अक्सर माखन चुराने के खेल में लगे रहते हैं। अगर आप बच्चों को साथ लाना चाहते हैं तो एक छोटी सी माखन की थाली तैयार रखें – यह उनके चेहरे पर खुशी लेकर आएगा और त्यौहार का मज़ा बढ़ाएगा.
अंत में, याद रखें कि जन्माष्टमी सिर्फ पूजा‑पाठ नहीं, बल्कि दिल से भगवान को याद करने का मौका है। अगर आप इस दिन अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं तो यह उत्सव और भी खास बन जाता है. मेट्रो ग्रीन्स समाचार पर सभी अपडेट पढ़ें और अपना त्यौहार खुशी‑खुशी मनाएँ.