जब दाम लगातार बढ़ते हैं तो लोगों को लगता है कि पैसों की खरीद शक्ति घट रही है। इसे ही हम मुद्रास्फीति कहते हैं। सरल शब्दों में, वही राशि से कम चीज़ें मिलती हैं। रोजमर्रा के सामान जैसे रोटी, दाल या पेट्रोल का दाम बढ़ना इसका सबसे बड़ा संकेत होता है। इस टैग पेज पर आप भारत की मौजूदा स्थिति और इससे निपटने के आसान उपाय देखेंगे।
2023‑24 वित्तीय वर्ष में मुद्रास्फीति औसत 6‑7% रही, जबकि RBI ने लक्ष्य 4‑6% रखा था। तेल की कीमतों में उतार‑चढ़ाव, खाद्य पदार्थों के मौसमी बदलाव और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की रुकावटें इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण हैं। सरकार ने पेट्रोल पर टैक्स कम करके कुछ राहत दी, लेकिन कई शहरों में सब्ज़ी के दाम अभी भी ऊँचे हैं। इसलिए लोग अक्सर बजट बनाते समय इन चीज़ों को अलग से देखना शुरू कर देते हैं।
मुद्रास्फीति का असर कम करने के लिए आप छोटे‑छोटे कदम उठा सकते हैं। पहले तो खर्च की सूची बनाएँ और गैरज़रूरी चीज़ों को कट करें, जैसे बाहर खाने की बार-बार आदत। दूसरा, सस्ता लेकिन पौष्टिक विकल्प अपनाएँ – दाल‑चावल के बजाय राजमा या मूँगफली का उपयोग कर सकते हैं। तीसरा, थोक में खरीदें और फ्रीज में सुरक्षित रखें; इससे अचानक मूल्य वृद्धि से बचा जा सकता है। अंत में, अपने पैसे को सिर्फ जमा नहीं, बल्कि म्यूचुअल फ़ंड या सॉवरग्लाइड जैसी स्थिर निवेश योजनाओं में लगाएँ ताकि महंगाई का असर कम हो।
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सारांश में कहें तो मुद्रास्फीति एक सतत चुनौती है, लेकिन समझदारी से खर्च करने, बचत बढ़ाने और सही निवेश चुनने से इसका असर कम किया जा सकता है। हमसे जुड़ें, नवीनतम खबरों और आसान टिप्स के साथ हमेशा तैयार रहें।