आपने कभी सोचा है कि हर साल लाखों लोग रथ पर बैठकर परेड क्यों करते हैं? रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। इस उत्सव में लोग अपने घरों, गांवों और शहरों से निकलते हैं, रंग-बिरंगे रथ पर सवार होकर भगवान के चरणों में अपनी श्रद्धा जताते हैं।
रथ यात्रा की जड़ें प्राचीन काल में मिलती हैं, जब भगवान विष्णु के रथ के चारों ओर भक्तों का झुंड होता था। जब से पँडितों ने इसे औपचारिक रूप दिया, इस परेड ने भारत के कई हिस्सों में अपना खास स्थान बना लिया। हर राज्य की रथ यात्रा में थोड़ी‑थोड़ी अलग झलक दिखती है, पर सभी में एक चीज़ समान है – श्रद्धा और एकता।
साथ ही, रथ यात्रा सामाजिक गाथा भी है। किसान, व्यापारी, छात्र, और बुजुर्ग सब मिलकर रथ को खींचते हैं, जिससे एक सहयोगी भावना बनती है। यही कारण है कि लोग इस उत्सव को अपने जीवन की अहम छुट्टी मानते हैं।
आजकल रथ यात्रा में नई तकनीक का भी असर दिख रहा है। कई जगहों पर रथ को इलेक्ट्रिक मोटर से चलाया जाता है, फिर भी पारंपरिक हाथ से खींचने की भावना बनी रहती है। इस साल के बड़े शहरों में रथ यात्रा के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत और स्थानीय व्यंजनों का भी आयोजन हो रहा है।
अगर आप पहली बार रथ यात्रा देखना चाहते हैं, तो पटनियों की रथ यात्रा, पॉलैटिपुत्र की ‘रथ यत्रा’ या बहुत प्रसिद्ध बड़हमंडी रथ यात्रा को न भूलें। यहाँ पर आप रंगों की भरमार, पवन संगीत और भक्तों की चहचहाहट का मज़ा लेंगे।
और हाँ, रथ यात्रा में सुरक्षा भी बहुत अहम होती है। इस साल पुलिस ने विशेष सुरक्षा उपाय किए हैं, जैसे कि त्रिस्तरीय जाँच और भीड़ नियंत्रण, ताकि सबका अनुभव सुरक्षित रहे। आप भी अपना कैमरा लेकर आएँ, लेकिन भीड़ में सुरक्षित रहने का ध्यान रखें।
आखिर में, रथ यात्रा सिर्फ एक परेड नहीं, बल्कि हमारे दिलों की धड़कन है। यह हमें याद दिलाता है कि चाहे हम कहीं भी हों, हमारी जड़ों से जुड़ाव और एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर चलने का ऊपरू रखी भावना हमें हमेशा एक साथ रखती है। तो इस साल के रथ यात्रा उत्सव में भाग लें, और इस अद्भुत परम्परा का हिस्सा बनें।