Zerodha ने क्यों चुना CDSL? CEO नितिन कामथ ने खोले फैसले के पीछे के राज

Zerodha ने क्यों चुना CDSL? CEO नितिन कामथ ने खोले फैसले के पीछे के राज जुल॰, 25 2025

Zerodha और CDSL : एक फैसले ने कैसे बदला मार्केट का खेल

ब्रोकिंग की दुनिया में, Zerodha आज एक बड़ा नाम है। लेकिन 2016 में कंपनी ने एक ऐसा फैसला लिया, जिससे ब्रोकिंग सेक्टर की दिशा बदल गई। Zerodha के CEO नितिन कामथ ने बताया कि उन्होंने CDSL को डिपॉजिटरी पार्टनर के तौर पर इसलिए चुना, क्योंकि बेंगलुरु में CDSL के पास स्थानीय प्रतिनिधि मौजूद थे। एक साधारण सा कारण, लेकिन इसी ने Zerodha की शुरुआती मजबूती को स्थापित किया।

जब कोई नया ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म शुरू करता है, तो डिपॉजिटरी चुनना बेहद अहम होता है। देश में दो बड़ी डिपॉजिटरी हैं - NSDL और CDSL। आमतौर पर लोग NSDL के नाम से ज्यादा वाकिफ हैं, क्योंकि वह पुरानी और बड़े बैंक व संस्थानों से जुड़ी हुई है। लेकिन Zerodha ने CDSL को चुना और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था बेंगलुरु में CDSL के प्रतिनिधि Harisha की मौजूदगी। कामथ के मुताबिक, Harisha ने Zerodha की टीम को न सिर्फ ऑनबोर्डिंग में मदद की, बल्कि प्रक्रियाएं इतनी आसान बनाईं कि पूरा सिस्टम बिना दिक्कत के शुरू हो गया। यह सपोर्ट Zerodha के ऑपरेशन की नींव साबित हुआ।

इस फैसले का असर यहीं नहीं रुका। Zerodha को देखकर बाकी कई नए ब्रोकर भी CDSL के साथ जुड़ने लगे। नतीजा ये हुआ कि CDSL का मार्केट शेयर तेजी से बढ़ने लगा। जहां पहले NSDL का दबदबा था, वहीं अब CDSL तेजी से आगे बढ़ा रहा है। ब्रोकिंग सेक्टर के लिए ये एक बड़ा ट्रेंड चेंज था, क्योंकि इससे इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा और विकल्प दोनों बढ़े।

CDSL से NSDL तक : Zerodha का सफर

CDSL से NSDL तक : Zerodha का सफर

शुरुआत में Zerodha ने CDSL को तरजीह दी, लेकिन जैसे जैसे कंपनी बढ़ी, वैसे ही सेवाएं भी फैलती चली गईं। ग्राहकों की अलग-अलग जरूरतों को देखते हुए Zerodha ने बाद में NSDL के साथ भी साझेदारी कर ली। आज कंपनी दोनों डिपॉजिटरीज से जुड़कर ग्राहकों को ज़्यादा विकल्प और सुविधा देती है।

इस पूरी कहानी का दिलचस्प पहलू ये है कि भारतीय ब्रोकिंग इंडस्ट्री में decisions सिर्फ ब्रांड और नाम पर नहीं, बल्कि स्थानीय सपोर्ट जैसी छोटी लगनेवाली बातों पर भी टिके होते हैं। एक स्थानीय प्रतिनिधि के सपोर्ट ने ना सिर्फ Zerodha की लॉन्चिंग आसान बनाई, बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए नया ट्रेंड सेट कर दिया।

  • 2016 में Zerodha ने CDSL को चुना, वजह थी बेंगलुरु में स्थानीय सहायता।
  • CDSL के रुख के चलते कई नए ब्रोकर भी उसी राह पर चल पड़े।
  • धीरे-धीरे Zerodha दोनों डिपॉजिटरी - CDSL और NSDL - से जुड़ गया।
  • स्थानीय सपोर्ट छोटी चीज लग सकती है, लेकिन कंपनी की रणनीति और ग्रोथ में उसकी अहम भूमिका होती है।

आज Zerodha की गिनती देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्मों में होती है। लेकिन इसकी कहानी दिनों-दिन के संघर्ष और छोटे-छोटे फैसलों का नतीजा है, जिसमें स्थानीय प्रतिनिधि की भूमिका को भी कम नहीं आंका जा सकता।