महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: जानिए मतदान और नतीजों की तारीखें, राजनीति में एक नया मोड़

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: जानिए मतदान और नतीजों की तारीखें, राजनीति में एक नया मोड़ अक्तू॰, 15 2024

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2023 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

भारत के निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को एक ही चरण में संपन्न होगा। 288-सदस्यीय महाराष्ट्र विधान सभा का कार्यकाल इस नवंबर में समाप्त हो रहा है। मतगणना 23 नवंबर को निर्धारित की गई है। यह चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में वर्चस्व के लिए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और महा युति गठबंधन (एमवाईए) के बीच एक बड़ा मुकाबला होगा।

महा विकास अघाड़ी गठबंधन जिसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं, भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के महा युति गठबंधन (जिसमें शिवसेना के शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी भी शामिल हैं) के खिलाफ खड़ा है। इस बार का चुनाव अलग-अलग विचारधाराओं और रणनीतियों के टकराव का मैदान साबित होगा।

राजनीतिक दलों की रणनीतियां और चुनौतियाँ

भाजपा ने अन्य राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी क्षेत्रीय दलों की स्थिरता और राष्ट्रीय मुद्दों का फायदा उठाने की कोशिश की है। 2019 में भाजपा ने राज्य में 105 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने 44 सीटें प्राप्त की थीं। लोकसभा चुनाव में, भाजपा नेतृत्व वाला महा युति गठबंधन केवल 17 सीटें जीत पाया था, वहीं महा विकास अघाड़ी ने 30 सीटों पर कब्जा जमाया था। भाजपा की जीत के आंकड़े 23 से घटकर 9 पर आ गए थे जबकि शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी और कांग्रेस ने अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया था।

इस बार का चुनाव केवल गठबंधन और पार्टियों के बीच की शक्ति संतुलन तक सीमित नहीं है बल्कि यह नई रणनीतियों और रणनीतिकारों के बीच की लड़ाई की संकेत भी देता है। भाजपा का लक्ष्य अपनी पुरानी स्थिति को पुनः प्राप्त करना है जबकि महा विकास अघाड़ी की कोशिश अपने जनमत को बनाए रखने की रहेगी।

महा विकास अघाड़ी की तैयारी

उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने 2019 चुनाव में 43% स्ट्राइक रेट के साथ एक अद्वितीय प्रदर्शन किया था, जिसमें मुंबई की चार में से तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। ठाकरे की राजनीतिक वंशधारा का दावा ठोस है, हालांकि वह पार्टी का नाम और प्रतीक खो चुके हैं। उनका यह प्रदर्शन उन्हें आने वाले चुनाव के लिए आत्मविश्वास देता है। शिंदे का गुट, जिसने केवल 7 सीटों पर जीत दर्ज की, को अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने की चुनौती है।

कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी ने भी पिछले लोकसभा चुनाव में कुल मिलाकर अपना प्रभाव बनाए रखा है। ऐसे में, महा विकास अघाड़ी इस बार की लड़ाई को निर्णायक बनाने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया में है।

महा युति का वर्तमान परिदृश्य

महा युति का नेतृत्व भाजपा के हाथ में है जहां देवेंद्र फडणवीस, एक भरोसेमंद मुख्यमंत्री उम्मीदवार, फ्रंटलाइन पर हैं। शिंदे और अजित पवार के साथ गठबंधन ने महा युति का स्वरूप मजबूत किया है। भाजपा का ध्यान अपने संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करने पर है साथ ही वे मतदाताओं के बीच एकीकृत संदेश को चुनौतियों की परवाह किए बिना पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

हाल के चुनावों में भाजपा की मान्यता घटी होने के बावजूद, यह गठबंधन प्रदेश के निचले वर्गों तक अपनी पहुंच बनाने के प्रयास में है। उनका उद्देश्य मजबूत नींव बनाते हुए, शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में वोट बैंक का संतुलन बनाना है।

चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दे

चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दे

महाराष्ट्र के इस चुनाव में कई मुद्दे अहम रहेंगे जो मतदाताओं की रुचि को केंद्रित कर सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं राज्य के किसानों की स्थिति, जल संकट के समाधान उपाय, स्थानीय उद्योगों का विकास, और उभरते मुद्दों पर सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता। मतदाता इस संबंध में भाजपा और महा विकास अघाड़ी से विकास के वादों के आधार पर उम्मीद कर रहे हैं।

इस राजनीतिक मुकाबले में सांस्कृतिक विरासत का भी एक मोल है, विशेष रूप से शिवसेना के उद्धव ठाकरे की ओर से बाल ठाकरे के विरासत के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन। उनकी पार्टी की मूलता और उस पर दावा राजनीति में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

प्रदेश की राजनीति में बदलाव की लहर

महाराष्ट्र की राजनीति में इस बार का चुनाव कई आलेखों का सामना करता हुआ दिख रहा है। महा विकास अघाड़ी में शरद पवार और अजित पवार के बीच मतभेदों के बावजूद गठबंधन की स्थिरता बनी हुई है। दूसरी ओर, महा युति में शिवसेना के शिंदे गुट और भाजपा के बीच साझेदारी की चुनौती है।

इन चुनावों में हर मुद्दा और हर सीट अहम होगी, क्योंकि एक भी गलत कदम किसी दल या गठबंधन के पूरे प्रयास को अंत कर सकता है। इस तरह के चुनाव प्रक्रिया में प्रत्याशी केवल मतदाताओं के समर्थन को ही नहीं बल्कि नेतृत्व, समर्पण और क्षमता की भी परीक्षा देते हैं।