जब बात 1991, वर्ष 1991 भारत और विश्व में कई बड़े बदलावों का केंद्र था. वन‑नाइन‑नाइन‑वन की, तो भारत, दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तुरंत दिमाग में आता है। यह साल इतिहास, भूतकाल की प्रमुख घटनाओं का संग्रह बन गया, जहाँ आर्थिक उदारीकरण, राजनीतिक बदलाव और सांस्कृतिक परिवर्तन गहराई से जुड़े थे। इसलिए 1991 ने आज के समाचार, वर्तमान में प्रकाशित ताज़ा जानकारी पर भी असर डाला है – जैसे महिंद्रा का जनवरी 2025 में बॉलेरो पर बड़ी छूट या Amazon का बेंगलुरु में नया मेकरस्पेस।
1991 में भारत ने आर्थिक नीति में “लिबरलाइज़ेशन, प्राइवेटकवरी, ग्लोबलाइज़ेशन” (LPG) के तिजोरी खोल दी। इससे विदेशी निवेश में अचानक बढ़ोतरी, बैंकिंग सेक्टर में नई चुनौतियाँ और स्टॉक मार्केट में नई गति आई। साथ ही, राजनैतिक परिदृश्य बदल गया – नई सरकार ने सत्ताकुशलता को पुनः परिभाषित किया, जिससे दलील‑भिड़ंत से लेकर लोकतांत्रिक सहभागिता तक सब कुछ प्रभावित हुआ। सामाजिक स्तर पर, कॉम्प्यूटर, टेलीविज़न और मोबाइल जैसी नई तकनीकें धीरे‑धीरे घर-घर पहुंची, जिससे जीवन‑शैली में डिजिटल बदलाव शुरू हुआ। ये सभी मोड़ आज के ट्रेंडिंग न्यूज़, वर्तमान में लोकप्रिय और बातचीत वाली खबरें को समझने की कुंजी हैं।
आज के समय में वही समानता दिखती है जब हम देखेंगे कि 2025 की कई खबरें 1991 के बदलावों की पूँछ पर चल रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 1991 में आर्थिक उदारीकरण ने ऑटोमोबाइल उद्योग को नई ऊर्जा दी, वही ऊर्जा आज महिंद्रा के बॉलेरो मॉडल में प्रतिबिंबित होती है, जहाँ जनवरी में ₹1.25 लाख तक की छूट दी गई है। इसी तरह, 1991 के शैक्षिक सुधारों ने आज Amazon के Future Engineer मेकरस्पेस को जन्म दिया, जो कम‑आय वाले छात्रों को रोबोटिक्स और AI सिखा रहा है। इस प्रकार, स्थिति, वर्तमान स्थितियों और उनके ऐतिहासिक कारणों का संबंध के बीच सीधा लिंक बनता है।
जब आप नीचे सूचीबद्ध लेख पढ़ेंगे, तो आपको महसूस होगा कि 1991 ने कई क्षेत्रों को दिशा दी – खेल, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, वित्त और राजनीति। चाहे वह वेस्ट इंडीज की टीम रीबिल्डिंग हो, या AIIMS गोरखपुर की मेडिकल प्रगति, या फिर ज़ेरोधा का CDSL चयन, हर कहानी 1991 की बदलती सोच की परछाई दिखाती है। इसलिए इस टैग पेज को सिर्फ एक संग्रह नहीं, बल्कि एक समय‑संचार गाथा मानें जहाँ हर समाचार 1991 की धारा में बहता है।
अब आगे बढ़ते हुए, आप नीचे दी गई अलग‑अलग खबरों में देखेंगे कि कैसे 1991 का असर आज के साक्षर, तकनीकी‑उन्मुख और प्रगतिशील भारत में परिलक्षित होता है। इन लेखों को पढ़कर आप न केवल वर्तमान की खबरें समझ पाएँगे, बल्कि उनके ऐतिहासिक जड़ें भी जाण पाएँगे।