भरतनाट्यम क्या है? शुरुआती गाइड

अगर आप भारतीय नृत्य के बारे में curious हैं तो भरतनाट्यम एक बेहतरीन शुरुआत हो सकता है। ये तमिलनाडु से आया शास्त्रीय नृत्य फॉर्म है, लेकिन अब देश‑भर में लोग इसे सीखते और पेश करते हैं। इस लेख में हम इसके इतिहास, प्रमुख तत्व और शुरुआती लोगों के लिए आसान अभ्यास टिप्स बतायेंगे ताकि आप बिना किसी झंझट के कदम रख सकें।

इतिहास और मूलभूत तत्व

भरतनाट्यम की जड़ें प्राचीन मंदिरों में मिलती हैं, जहाँ भगवान शिव के नृत्य को दर्शाने वाले शिल्प देखे जा सकते हैं। 20वीं सदी में रानी राजकुमारी रवींद्रा बाई चोरन ने इसे मंच पर लाया और आजकल इसे कॉन्सर्ट हॉल और प्रतियोगिताओं में देखा जाता है। इस नृत्य के पाँच मुख्य भाग होते हैं – अभियोग (प्रस्तावना), नियत (मुख्य कथा), वांछित (भावनात्मक भाग), निरूपण (कथानक) और अंतिम रूप से परिनाम। ताल, राग, अभिव्यक्ति (अभिनय) और मुद्राओं (हाथ के संकेत) इसको पहचानने वाले घटक हैं।

ताल की बात करें तो भरतनाट्यम में आठ-बीट की आधी टेटिल या चार‑बीट की आदर्श तालें इस्तेमाल होती हैं, जैसे आडि ताला और चापताल। राग के लिए मुख्यतः सात स्वर (सा रे गा मा पा धा नी) का प्रयोग होता है, जिससे गीत में मिठास आती है। अभिव्यक्ति यानी नृत्यकार की आँखों, चेहरे और हाथों से कहानी सुनाना भरतनाट्यम को खास बनाता है।

बुनियादी कदम और अभ्यास के तरीके

शुरुआत में सबसे आसान मूवमेंट ‘अडुह्मा’ है – पैर की उँगली पर खड़े होना और फिर धीरे‑धीरे जमीन से उठाना। इसको दो‑तीन बार दोहराने से शरीर का संतुलन बनता है। अगला कदम ‘तमिल तान्‍त्र’ या ‘धोरा’ है, जहाँ आप घुटनों को हल्का मोड़ते हुए साइड‑स्टेप करते हैं। इन बेसिक मूवमेंट्स को 5 मिनट रोज़ाना अभ्यास करें, फिर धीरे‑धीरे गति बढ़ाएँ।

हाथ के संकेत (मुद्रा) भी सरल होते हैं – ‘अंकोष’ यानी पाँच उँगली फैलाकर हाथ उठाना, और ‘त्रिकोण’ जिसमें अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा मिलकर त्रिभुज बनाते हैं। इन मुद्राओं को संगीत के साथ सिंक्रोनाइज़ करने से नृत्य में ताल का असर बढ़ता है। आप किसी यूट्यूब वीडियो या स्थानीय क्लास से बेसिक सत्र ले सकते हैं; शुरुआती लोगों को अक्सर दो‑तीन कदमों पर फोकस करने की सलाह दी जाती है, फिर धीरे‑धीरे पूरे कॉम्बिनेशन की ओर बढ़ें।

अभ्यास के दौरान शरीर को स्ट्रेच करना न भूलें। कंधे, कमर और टांगों की लचक रखनी चाहिए, क्योंकि भरतनाट्यम में बड़ी मात्रा में घुमाव और झुकाव होते हैं। एक आसान स्ट्रेच routine: सुबह उठते ही 5‑10 मिनट हल्की योगा पोज़, फिर नृत्य के कदम दोहराते हुए धीरे‑धीरे गति बढ़ाएँ। यह आपको चोट से बचाएगा और प्रदर्शन को बेहतर बनायेगा।

जब आप थोड़ा आत्मविश्वास महसूस करें तो सरल कहानी वाले ‘अभिनय’ (नाटकीय भाग) जोड़ें। छोटे-छोटे भाव जैसे खुशी, दुख या आश्चर्य को चेहरे पर लाएँ और हाथों से संकेत दें। दर्शक अक्सर इन छोटे‑छोटे इशारों को पढ़ते हैं, इसलिए अभ्यास में इन्हें शामिल करना फायदेमंद है।

भाषा सरल रखी गई है ताकि आप तुरंत लागू कर सकें। अगर आपके पास कोई स्थानीय गुरु या ऑनलाइन क्लास नहीं है, तो रोज़ 20‑30 मिनट वीडियो देख कर खुद को ट्रेन कर सकते हैं। सबसे ज़रूरी बात – लगातार अभ्यास और धैर्य रखें; नाच में परिपूर्णता एक दिन में नहीं आती।

तो अब तैयार हैं? अपने घर के फर्श या कमरे में थोड़ा जगह साफ़ करें, संगीत चलाएँ और ऊपर बताए गए बेसिक कदमों से शुरू करें। धीरे‑धीरे आप भरतनाट्यम की जटिल अभिव्यक्तियों को भी सीखेंगे और इस अद्भुत भारतीय कला का आनंद ले पाएंगे।