ब्रेन डेड डोनर: जानिए किन्हें दान करके आप जीवन बचा सकते हैं

जब कोई व्यक्ति ब्रेन डेड घोषित हो जाता है, तो उसका शरीर अब खुद से सांस नहीं लेता, पर अंग अभी भी काम कर रहे होते हैं। इस स्थिति में दाता की सहमति या परिवार की मंजूरी मिलती है तो अंगदान संभव होता है। यह तरीका कई जीवन बचा सकता है, इसलिए आज हम इसे आसान शब्दों में समझेंगे।

ब्रेन डेड डोनर की पहचान कैसे होती है?

पहले डॉक्टर पूरी जांच करके तय करते हैं कि दिमाग के सभी कार्य बंद हो चुके हैं। इसमें दो बार न्यूरोलॉजिकल टेस्ट, एंटी‑डायरेटिक इन्फ्यूजन और कुछ विशेष उपकरणों का प्रयोग शामिल होता है। अगर ये सब मानकों पर खरा उतरता है तो रोगी को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है। इस चरण में परिवार से लिखित सहमति लेनी ज़रूरी होती है, क्योंकि दाता की इच्छा या परिवार की मंजूरी ही आगे का रास्ता खोलती है।

कभी‑कभी लोग मानते हैं कि दिल धड़कता रहे तो अंग नहीं दे सकते। असल में, अगर हृदय मशीन से चल रहा हो तो कई प्रमुख अंग—जैसे दिल, जिगर, किडनी—को सुरक्षित रूप से निकालकर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इसलिए ब्रेन डेड दाता को अक्सर “जीवन रक्षक” कहा जाता है।

अंगदान के बाद क्या होता है?

एक बार सहमति मिल जाने पर अस्पताल में एक विशेष टीम तैयार होती है। वे अंग निकालने की प्रक्रिया को तेज़ और स्वच्छ तरीके से करती है, ताकि अंग को नुकसान न पहुंचे। निकाले गए अंग को तुरंत ही संग्रहीत करके रोगी तक पहुँचाया जाता है जिसे ट्रांसप्लांट की जरूरत है।

यदि आपके परिवार में कोई ब्रेन डेड हो गया है तो आप अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर से बात कर सकते हैं। वे आपको प्रक्रिया, आवश्यक कागज़ात और समय‑सीमा के बारे में स्पष्ट जानकारी देंगे। अक्सर ये प्रक्रिया 12 घंटे के भीतर पूरी होती है, इसलिए तेज़ निर्णय लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

अंगदान केवल रोगी को नहीं बचाता, बल्कि दान करने वाले परिवार को भी एक सकारात्मक भावना देता है—कि उनके प्रिय ने कई जीवनों को बचाया। इस मनोवैज्ञानिक लाभ को अक्सर अनदेखा किया जाता है, पर यह काफी असरदार होता है।

भारत में अंगदान के नियम 1994 से लागू हैं और हाल ही में “ऑर्गन डोनेशन एक्ट” के तहत दाता की इच्छाओं को प्राथमिकता दी गई है। इसका मतलब है कि अगर कोई पहले से अपने आप को दानकर्ता घोषित कर चुका है, तो परिवार को उसकी इच्छा का सम्मान करना होगा। यह कानून प्रक्रिया को आसान बनाता है और अधिक लोगों को दातावान बनाने में मदद करता है।

यदि आप स्वयं दाता बनने की सोच रहे हैं, तो राष्ट्रीय अंगदान पंजीकरण पोर्टल पर अपनी जानकारी दर्ज कर सकते हैं। ये जानकारी अस्पतालों को तुरंत मिलती है जब किसी ब्रेन डेड रोगी से मिलते-जुलते रक्त समूह या अन्य मानदंड होते हैं।

संक्षेप में, ब्रेन डेड डोनर अंगदान एक जीवन‑बचाने वाला कदम है जो सही जानकारी और जल्दी निर्णय पर निर्भर करता है। अगर आप या आपका कोई जानकार इस स्थिति में है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और प्रक्रिया को समझें। यही छोटा सा कदम कई परिवारों की जिंदगी बदल सकता है।