जब हम डिजिटल शिक्षा, टेक्नोलॉजी, इंटरनेट और मोबाइल के ज़रिए पढ़ाई‑लिखाई को सुविधाजनक बनाना. Also known as ई‑लर्निंग, it स्कूल‑कॉलेज से लेकर प्रोफेशनल ट्रेनिंग तक हर स्तर को ऑनलाइन पहुँच देता है. 2025 में लगभग 75 % छात्र मोबाइल ऐप से पढ़ रहे हैं, यही वजह है कि इस शब्द को समझना ज़रूरी है।
डिजिटल शिक्षा ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म के साथ जुड़ी है, जिससे छात्र कभी भी, कहीं भी कॉर्स कर सकते हैं। ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, जैसे Coursera, Udemy, भारत के SWAYAM और प्लेटफ़ॉर्म‑आधारित पाठ्यक्रम को अक्सर digital education का पहला कदम माना जाता है। यह प्लेटफ़ॉर्म वीडियो लेक्चर, क्विज़ और एसेसमेंट टूल्स की मदद से सीखने की गति को तेज़ करता है।
डिजिटल शिक्षा ब्लेंडेड लर्निंग को भी अपनाती है, यानी ऑनलाइन और ऑफ़लाइन क्लास का मिश्रण। जब स्कूल में टैबलेट या स्मार्टबोर्ड से इंटरैक्टिव अभ्यास होते हैं, तो वह पारंपरिक कक्षा को पूरक बनाता है। इसका अर्थ है कि छात्र कक्षा में शिक्षक की बात सुनते हैं और बाद में घर पर वही सामग्री ऑनलाइन दोहराते हैं। यह दो‑तरफ़ा जुड़ाव सीखने की retention को 30 % तक बढ़ा सकता है।
इसे संभव बनाने वाले मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर को हम EdTech, शिक्षा तकनीक के स्टार्ट‑अप और टूल्स, जैसे ऑनलाइन टेस्टिंग, AI‑आधारित एडेप्टिव लर्निंग और वर्चुअल लैब्स कहते हैं। EdTech कंपनियाँ AI का उपयोग करके प्रत्येक छात्र की गति और समझ के अनुसार कंटेंट ढालती हैं। इससे एक ही क्लासरूम में अलग‑अलग स्तर के छात्रों को समान रूप से मदद मिलती है।
सरकारी पहल भी डिजिटल शिक्षा को तेज़ कर रही हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ के तहत 2023‑24 में 1.2 करोड़ स्कूलों को ब्रॉडबैंड और स्मार्ट क्लासरूम से लैस किया गया। इस योजना ने ग्रामीण इलाकों में भी ऑनलाइन कक्षाओं का रास्ता खोला। जब भारत के 85 % ग्रामीण स्कूल Wi‑Fi से जुड़े, तो शिक्षक डिजिटल बोर्ड पर लाइव क्विज़ और इंटरैक्टिव सत्र चला सके।
डिजिटल शिक्षा डेटा‑ड्रिवन लर्निंग को भी सम्भव बनाती है। शिक्षकों को छात्र के अपलोडेड असाइन्मेंट, क्विज़ स्कोर और समय‑बाई‑टाइम एक्टिविटी लॉग्स मिलते हैं, जिससे वे व्यक्तिगत फीडबैक दे सकते हैं। यह प्रक्रिया पारंपरिक कागज़‑पड़ताल से कहीं ज्यादा तेज़ और सटीक है।
भविष्य की ओर देखें तो AR/VR टेक्नोलॉजी शिक्षा को और इमर्सिव बना रही है। विज्ञान के लैब प्रयोग, इतिहास की काल्पनिक यात्रा और जटिल गणितीय सिद्धांत अब वर्चुअल रियलिटी में देखे जा सकते हैं। इस तरह का अनुभव न केवल सीखने को मज़ेदार बनाता है, बल्कि बच्चों की कल्पना शक्ति को भी बढ़ाता है।
इन सभी तत्वों को मिलाकर हम कह सकते हैं कि डिजिटल शिक्षा समान अवसर प्रदान करती है, शिक्षा की लागत घटाती है, और शिक्षक‑छात्र इंटरैक्शन को तकनीक‑सहायक बनाती है। जब आप नीचे की सूची में देखते हैं, तो आपको विभिन्न पहलुओं—जैसे ऑनलाइन कोर्स, स्मार्ट क्लासरूम, EdTech स्टार्ट‑अप आदि—पर लेख मिलेंगे, जो इस बड़े बदलाव को समझने में मददगार होंगे।
आगे के लेखों में हम विभिन्न डिजिटल टूल्स की समीक्षा, सरकारी योजनाओं की अपडेट, और छात्र‑शिक्षक दोनों के लिए आसान गाइड प्रस्तुत करेंगे। चाहे आप माता‑पिता हों, शिक्षक हों या खुद सीखने के शौकीन, इस संग्रह में आपको वह जानकारी मिलेगी जो आपके सीखने‑जाने के सफ़र को आसान बनाएगी।
 
                                                                        Amazon ने बेंगलुरु में अपना पहला Future Engineer Makerspace खोला, जहाँ 4,000+ कम‑आय वाले छात्र 2025 तक रोबोटिक्स, AI और 3D‑प्रिंटिंग सीखेंगे।