हिज़बुल्लाह क्या है? इतिहास, उद्देश्य और आज की स्थिति

हिज़बुल्लाह एक लेबनानी शिया समूह है जो 1980 के दशक में इज़राइल के खिलाफ लड़ने के लिए बना। ये संगठन सामाजिक सेवाएँ देता है, स्कूल चलाता है और अस्पताल भी बनवाता है। इसलिए कई लोग इसे सिर्फ मिलिटेंट नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की मदद करने वाला समझते हैं।

हिज़बुल्लाह का इतिहास

लेबनान में इज़राइल के कब्जे के बाद शिया समुदाय ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए हिज़बुल्लाह बनाया। शुरुआती दिनों में इसको इराक और ईरान से हथियार मिले। 1990‑2000 में उन्होंने कई बड़े हमले किए, जैसे कि 1992 का बैरूत बम विस्फोट। ये घटनाएँ उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला गईं।

समय के साथ हिज़बुल्लाह ने राजनीति में भी कदम रखा। 1992 से वे लेबनान की संसद में सीटें जीत रहे हैं और अब सरकार में गठबंधन बनाते हैं। इस कारण उनका प्रभाव सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि राजनैतिक भी है।

आज की भूमिका और प्रभाव

अब हिज़बुल्लाह इज़राइल के साथ कई बार सीमा पर टकराव करता आया है। 2006 का लहिरा युद्ध सबसे बड़ा उदाहरण था, जहाँ उन्होंने इज़राइल को बड़े नुकसान पहुंचाए। इस संघर्ष ने क्षेत्र में सुरक्षा की नई धारणाएँ बनायीं।

साथ ही, वे सामाजिक कार्यों से अपने समर्थन को मजबूत रखते हैं। स्कूल, अस्पताल और बुनियादी सुविधाओं का विकास उनके लिए लोकप्रियता बढ़ाता है। युवा वर्ग भी इन सेवाओं के कारण समूह से जुड़ना पसंद करता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देश हिज़बुल्लाह को आतंकवादी समूह मानते हैं, जबकि कुछ क्षेत्रीय शक्ति इसे प्रतिरोध आंदोलन देखती है। यह दोहरे नजरिए का परिणाम उनके लिए कूटनीति में कठिनाई पैदा करता है।

भविष्य की बात करें तो हिज़बुल्लाह के पास दो रास्ते दिखते हैं: या तो वे राजनीतिक मंच पर अधिक प्रभाव डालेंगे और सैन्य कार्य कम करेंगे, या फिर संघर्ष जारी रहेगा और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी। दोनों ही स्थितियों में लेबनान की राजनीति और सुरक्षा पर गहरा असर पड़ेगा।

अगर आप हिज़बुल्लाह के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो उनके इतिहास, सामाजिक काम और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना बेहतर रहेगा। इस तरह की समझ आपको समाचार पढ़ते समय सही निर्णय लेने में मदद करेगी।