हॉरर‑कॉमेडी – डर और हँसी का अनोखा संगम

क्या आपको कभी ऐसा लगा कि डर और हँसी एक साथ नहीं चल सकते? बॉलीवुड ने यही साबित किया है कि दोनों को मिलाकर भी मज़ा आता है। हॉरर‑कॉमेडी वो जॉनर है जहाँ भूत-प्रेत की सस्पेंस के साथ चुटकुले, स्लैपस्टिक या व्यंग्य होते हैं। इसे देख कर दिल धड़कता है और फिर अचानक हँसी का फव्वारा निकल आता है।

इंटरनेट पर हर कोई ‘डरावनी कहानी लेकिन हल्की‑फुल्की’ की तलाश में रहता है, इसलिए यह जॉनर बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। लोग डर के साथ थक गए थे, अब थोड़ा हँसी मिल जाए तो सस्पेंस भी कम भारी लगने लगता है। यही कारण है कि हॉरर‑कॉमेडी को अक्सर ‘डर का कॉकटेल’ कहा जाता है।

हॉरर कॉमेडी क्यों पसंद की जाती है?

पहला तो, ये दो भावनाओं को एक साथ ट्रिगर करती है जिससे एडेवांस्ड बोरियत नहीं होती। दूसरा, यह जॉनर तनाव कम करता है—डर के बाद हँसी आने से मन रिलैक्स हो जाता है। तीसरा, सामाजिक तौर पर भी इसे आसानी से शेयर किया जा सकता है क्योंकि हर कोई डर की जगह हँसी को पसंद करता है।

कभी‑कभी तो फिल्म में एक सीन ऐसा होता है जहाँ किरदार भूत के सामने फिसलते‑गिरते मज़ाकिया डायलॉग देता है, जिससे दर्शकों का दिल ‘हाहाकार’ हो जाता है। इस तरह की कॉम्बिनेशन को देख कर लोग अपनी रोजमर्रा की चिंताओं से भी दूर हो जाते हैं और एक हल्का-फुल्का एंटरटेनमेंट मिल जाता है।

भारत में हॉरर‑कॉमेडी के कुछ यादगार फ़िल्में

‘भूतों का बँधन’ या ‘बच्चो के साथ हँसी की सैर’ जैसे नाम सुनते ही दिमाग में कई क्लासिक फिल्में आती हैं। ‘स्ट्रीट फाइटर 2025’ में एक सीन था जहाँ जॉक्सी (जोक्सी) को भूतिया बॉलिंग एली में गिरा दिया गया, लेकिन फिर वह खुद को हँसी के साथ बचा लेता है। इसी तरह ‘किडनैपेड लव स्टोरी’ में मुख्य किरदार ने घातक डार्क अलॉर्ट पर चुटकी लेते हुए सीन को हल्का बना दिया।

हाल ही में रिलीज़ हुई ‘Mission: Impossible – The Final Reckoning’ भी थोड़ा हॉरर‑कॉमेडी टच रखती है क्योंकि टॉम क्रूज़ ने एक AI रोबोट के साथ लड़ाई करते हुए खुद पर चुटकुले मारे। यद्यपि यह फुल‑हॉरर नहीं, लेकिन हल्की‑फुल्की डार्क कॉमेडी इसे अलग बनाती है।

इन फ़िल्मों की ख़ास बात यह है कि वे सिर्फ डर या मज़ाक पर ही नहीं टिकतीं; वह सामाजिक मुद्दों को भी चुटकी में पेश करती हैं, जैसे ‘भूरे रंग के ज्वेलरी’ में पर्यावरणीय चेतना का मिश्रण। दर्शकों को एक साथ सोचने‑समझने और हँसाने की कोशिश की जाती है।

यदि आप अभी तक हॉरर‑कॉमेडी नहीं देख रहे हैं, तो ‘स्ट्रीट फाइटर 2025’ या ‘Mission: Impossible – The Final Reckoning’ जैसी फ़िल्में एक बार ट्राई करें। आपको पता चलेगा कि डर और हँसी का मिश्रण कितना ताज़ा और रोमांचक हो सकता है।

अंत में इतना ही—डर को लेकर परेशान न हों, बस थोड़ा हँसते‑हँसते उसे झेलें, क्योंकि हॉरर‑कॉमेडी में यही जादू छुपा है।