जब ह्रदय ठीक से खून नहीं पंप कर पाता, तो रक्त की बूँदें फेफड़ों में जमा हो जाती हैं। इसे मेडिकल भाषा में कार्डियोजेनिक पल्मोनरी ओडेमा कहा जाता है। यह स्थिति अचानक या धीरे-धीरे पैदा हो सकती है और सांस लेने में दिक्कत, खाँसी या थकान जैसे लक्षण दिखाती है। अगर आप या आपका कोई जान‑पहचान वाला इस तरह का अनुभव कर रहा है तो देर न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें।
सबसे आम कारण ह्रदय की बाएँ तरफ़ की कमजोरी (बाईं वेंट्रिकल फेल्योर) है। जब बायाँ भाग दबाव नहीं बना पाता, तो रक्त फेफड़ों के छोटे-छोटे रक्त‑नलिकियों में पीछे धकेला जाता है और द्रव जमा हो जाता है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप, दिल की वाल्व़ रोग, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (हृदयाघात) और कुछ औषधियाँ भी इस समस्या को बढ़ा सकती हैं। शराब, धूम्रपान और मोटापा जैसे जीवन‑शैली के कारक जोखिम को और ऊपर ले जाते हैं।
सबसे पहले आपको सांस फूलना महसूस होगा, खासकर जब आप बिस्तर में लेटे हों या धीरे‑धीरे चलें। कई लोग रात को खाँसी के साथ झाग जैसी सफ़ेद लिक्विड देख पाते हैं। छाती में दबाव या जलन जैसा एहसास भी हो सकता है। अगर पैर और टखने सूँजते दिखें, तो यह ह्रदय‑संबंधी समस्या का संकेत हो सकता है। अचानक वजन बढ़ना (एक रात में 2‑3 किलोग्राम) अक्सर फेफड़ों में द्रव जमा होने की वजह से होता है। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ मत करें; शुरुआती उपचार बेहतर परिणाम देता है।
डॉक्टर आमतौर पर शारीरिक जांच, छाती का X‑ray, इकोकार्डियोग्राम और ब्लड टेस्ट करके कारण तय करता है। ये टेस्ट दिखाते हैं कि फेफड़ों में कितना द्रव जमा है और हृदय की पंपिंग शक्ति कितनी कम हुई है।
उपचार दो भागों में बाँटा जाता है: तुरंत लक्षण घटाने के लिए दवा और दीर्घकालिक कारण को ठीक करने के उपाय। तुरंत राहत पाने के लिए नाइट्रोग्लिसरिन, फ्यूरोसेमाइड (एक डाय्यूरेटिक) जैसी दवाएँ दी जाती हैं जो रक्त‑आयतन कम करके फेफड़ों का बोझ घटाती हैं। साथ में ऑक्सीजन थेरेपी से सांस की कमी कम होती है।
दीर्घकालिक तौर पर, ह्रदय को मजबूत बनाने के लिए एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) इन्हिबिटर या बीटा‑ब्लॉकर जैसी दवाएँ दी जा सकती हैं। यदि वाल्व़ रोग कारण है तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। जीवनशैली में बदलाव—नियमित व्यायाम, नमक कम खाना, धूम्रपान बंद करना और वजन घटाना—बड़े मददगार होते हैं।
घर पर आप कुछ आसान कदम ले सकते हैं: बिस्तर के सिरे को थोड़ा ऊँचा रखें ताकि द्रव नीचे न जमा हो; हल्की साँस‑व्यायाम (दीप ब्रीदिंग) करें और पानी की मात्रा नियंत्रण में रखें। अगर अचानक सांस तेज़ी से खराब हो, सीने में दबाव महसूस हो या होंठ नीले पड़ जाएँ तो तुरंत आपातकालीन सेवा को बुलाएँ।
कार्डियोजेनिक पल्मोनरी ओडेमा एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है। सही समय पर पहचान और उचित दवा से अधिकांश लोग फिर से सामान्य जीवन जी सकते हैं। अगर आप या आपका कोई प्रियजन इन लक्षणों का सामना कर रहा है, तो डॉक्टर की सलाह लेना सबसे पहला कदम होना चाहिए।