पीला अलर्ट – क्या है, कब मिलता है और क्यों महत्वपूर्ण है

जब आप पीला अलर्ट, इसे मौसम विभाग द्वारा संभावित जोखिम संकेत देने के लिए जारी किया जाता है. अक्सर इसे Yellow Alert कहा जाता है, जो हल्की से मध्यम मौसम‑संबंधी असुरक्षा को दर्शाता है। यह अलर्ट तब आता है जब बारिश, तेज़ हवाओं या अन्य मौसमी घटनाएँ सामान्य स्तर से ऊपर उठ सकती हैं, लेकिन अभी तक गति या आकार में अत्यधिक नहीं पहुँच पाई होती। इस कारण से सरकार, किसान, यात्रा योजनाकार और आम जनता को तैयार रहने की सूचना दी जाती है।

पीला अलर्ट का प्रायः लाल चेतावनी, सबसे गंभीर स्तर का मौसम अलर्ट या नारंगी अलर्ट, लाल चेतावनी से थोड़ा कम तीव्रता से पहले देखा जाता है। यानी पीला अलर्ट एक चेतावनी‑स्तर की कड़ी है जो संभावित जोखिम को दर्शाते‑हुए लोगों को सतर्क रखती है, जबकि लाल चेतावनी और नारंगी अलर्ट तब आते हैं जब स्थिति गंभीर हो गई हो। इस कड़ी से आपातकालीन योजनाओं को क्रमिक रूप से लागू किया जा सकता है, जिससे नुकसान को कम किया जा सके।

पीला अलर्ट के प्रमुख कारण और प्रभावित क्षेत्र

पीला अलर्ट आमतौर पर इंटेंस रेनफॉल, एक तेज़ी से बढ़ते बरसात के संकेत या तेज़ हवाओं के साथ जुड़ा होता है। जब मौसमी प्रणाली में पर्याप्त नमी और दबाव अंतर उत्पन्न होता है, तो विभाग इस संभावित स्थिति को पीला अलर्ट के रूप में घोषित करता है। भारत में सौराष्ट्र‑कच्छ, महाराष्ट्र, गुजरात और तटीय क्षेत्रों में अक्सर ऐसे अलर्ट सुनाई देते हैं क्योंकि ये क्षेत्र समुद्री हवाओं और मानसून के बीच संवेदनशील होते हैं। एक बार अलर्ट जारी हो जाने पर स्थानीय प्रशासन सूचनात्मक संदेश, जल निकासी योजना, स्कूल बंद या फ़्लाइट रद्दीकरण जैसी कार्रवाई कर सकता है। इस चरण में जनता को आवश्यक आपूर्ति, बचाव किट और प्रभावित क्षेत्रों के निकटतम शेल्टर के बारे में जानकारी देना विशेष महत्व रखता है।

साथ ही, पीला अलर्ट कृषि और परिवहन दोनों क्षेत्रों में प्रभाव डालता है। किसान को बोवाई या फसल संरक्षण के लिए अतिरिक्त उपाय करने की सलाह मिलती है, जबकि ड्राइवर को भारी बारिश या जल‑भराव वाले रास्तों से बचने का संकेत मिलता है। इस तरह का अलर्ट न सिर्फ मौसमी जोखिम को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक‑आर्थिक प्रणाली को भी तैयार करता है। इसलिए, जब आप समाचार में पीला अलर्ट देखते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह एक प्री‑वॉर्निंग सिस्टम है—जिसे नजरअंदाज़ करने से बाद में बड़ी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

आगे चलकर आप इस पृष्ठ पर कई लेख पाएँगे जो विभिन्न पीला अलर्ट मामलों—जैसे 2025 की सौराष्ट्र‑कच्छ लाल चेतावनी से पहले जारी पीला अलर्ट, मुंबई‑पुणे के बीच ट्रैफ़िक प्रबंधन, तथा किसान के लिए मौसम‑संबंधी योजना—पर गहराई से चर्चा करते हैं। इन लेखों में अलर्ट का समय‑सार, प्रभाव‑क्षेत्र और तैयारियों के उदाहरण मिलेंगे, जिससे आप खुद को और अपने परिवेश को बेहतर तरीके से सुरक्षित रख सकेंगे। अब आप जान चुके हैं कि पीला अलर्ट क्या है, उसकी महत्ता क्या है और उससे कैसे निपटा जाए—इन्हीं बिंदुओं को आगे की कहानियों में विस्तार से पढ़ें।