जब आप किसी प्रोडक्ट या शेयर की कीमत देखते हैं, तो अक्सर आपको "price band" या "मूल्य बैंड" का उल्लेख मिलता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो price band वह रेंज है जिसमें कीमतें बदल सकती हैं। ये रेंज तय करती हैं कि एक आइटम की कीमत न्यूनतम और अधिकतम कितनी हो सकती है।
price band सिर्फ शेयर मार्केट में नहीं, बल्कि रिटेल, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, रियल एस्टेट और यहां तक कि सरकारी टैरिफ़ में भी इस्तेमाल होता है। अगर आप एक ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर जाओ और प्रोडक्ट के साथ "₹500‑₹700" लिखा हो, तो वही price band है।
price band दो मुख्य रूप से वर्गीकृत होते हैं:
इन दोनों को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि निवेशकों और खरीदारों दोनों को यह तय करने में मदद मिलती है कि कब खरीदें या बेचें।
यदि आप एक व्यापारी या स्टॉक्स में निवेशक हैं, तो price band सेट करना एक आसान प्रक्रिया है। नीचे पाँच आसान कदम हैं:
इन कदमों को फॉलो करने से आप न केवल अपने लाभ को सुरक्षित रख पाएंगे, बल्कि खरीदारों को भी उचित कीमत पर प्रोडक्ट उपलब्ध करा पाएंगे।
price band को समझना उतना ही आसान है जितना दो संख्याओं के बीच अंतर देखना। चाहे आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हों या रोज़मर्रा की खरीदारी, एक सही price band आपके निर्णयों को तेज़ और समझदार बनाता है। अगले बार जब भी आप कीमतों की रेंज देखें, तो याद रखिए – यही आपके वित्तीय स्वास्थ्य का एक छोटा मैट्रिक्स है।