भाई, जब आप शेयर या बांड खरीदते‑बेचते हैं, तो सरकार का एक बड़ा चेहरा—SEBI (सिक्योरिटीज़ एंड एक्स्चेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया) सामने आता है। उनका काम बाजार को साफ‑सुथरा रखना, धोखाधड़ी रोकना और छोटे‑बड़े निवेशकों को भरोसा दिलाना है। जब कोई कंपनी IPO लॉन्च करती है या कोई ब्रोकर नई डिपॉजिटरी चुनता है, तो SEBI उसकी मंज़ूरी यानी क्लियरेंस लेता है। बिना इस मंज़ूरी के कारोबार आधे‑आधे रह जाता है।
पहला है IPO क्लियरेंस—जब नई कंपनी सार्वजनिक बाजार में शेयर बेचनी चाहती है, तो SEBI उसकी प्रॉस्पेक्टस, फंड के उपयोग और वित्तीय रिपोर्ट की जांच करता है। दूसरा है डिपॉजिटरी क्लियरेंस—जैसे हाल ही में ज़ेरोढ़ा ने CDSL को चुना, SEBI को बताना पड़ता है कि कौन‑सी डिपॉजिटरी बेहतर सेवाएं देगा। तीसरा है इंटर‑मार्केट क्लियरेंस—जब दो अलग‑अलग एक्सचेंजों के बीच शेयर ट्रांसफ़र होता है, तो SEBI देखता है कि नियम ठीक से लागू हो रहे हैं या नहीं।
अब बात करते हैं आज‑कल की हिट खबरों की। ज़ेरोढ़ा ने 2016 में CDSL को चुना क्योंकि बेंगलुरु में उनका लोकल सपोर्ट बेहतर था। इस फैसले से कई ब्रोकर भी CDSL की ओर गए, जिससे CDSL का मार्केट शेयर बढ़ा। अगर आप ट्रेडिंग करते हैं, तो इस बदलाव से आपका लेन‑देण आसान और तेज़ हो सकता है।
दूसरी बड़ी ख़बर है Saatvik Green Energy का IPO—SEBI ने इस प्रोजेक्ट को क्लियर कर दिया, जिससे कंपनी 4 GW ओडिशा प्लांट और नई सेल लाइन के लिये फंड जुटा रही है। क्लियरेंस मिलने के बाद निवेशकों को भरोसा मिलता है कि कंपनी के फाइनेंशियल डेटा भरोसेमंद हैं। यही कारण है कि इस IPO को आज‑कल सब्सक्राइब्ड बताया जा रहा है।
एक और दिलचस्प केस है जब SEBI ने कुछ ब्रोकरों को अतिरिक्त कड़े नियमों के तहत लाया क्योंकि उन्होंने क्लियरेंस प्रक्रिया को हल्का ले लिया था। इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ी और सामान्य निवेशक के लिए जोखिम कम हुआ।
क्या ये सब आपके लिए मायने रखता है? बिलकुल! अगर आप स्टॉक्स खरीदना चाहते हैं या अपने पोर्टफ़ोलियो में नई कंपनी जोड़ना चाहते हैं, तो SEBI क्लियरेंस का स्टेटस चेक करना जरूरी है। इससे आप जान पाएंगे कि कंपनी या ब्रोकर क़ानूनी तौर पर सुरक्षित है या नहीं।
अंत में, याद रखिए—SEBI का काम आपका सुरक्षा कवच है। चाहे वह नया IPO हो, डिपॉजिटरी का चयन या किसी बड़े मर्ज़र की मंज़ूरी, क्लियरेंस से ही सब कुछ वैध बनता है। तो अगली बार जब आप किसी निवेश पर विचार कर रहे हों, तो उस कंपनी या ब्रोकर की SEBI क्लियरेंस स्थिति को अवश्य देखें। इससे आपके पैसे की सुरक्षा भी होगी और आप भरोसे के साथ आगे बढ़ पाएंगे।
Adani Power ने 1:5 स्टॉक स्प्लिट पूरा किया, जिससे शेयरों की संख्या पाँच गुना और कीमत घट कर ₹2 हुई। रिकॉर्ड तिथि के बाद शेयर 20% उछलते हुए सर्किट सीमा छू गए। यह कदम रिटेल निवेशकों की पहुंच बढ़ाने और लिक्विडिटी सुधारने के लिए उठाया गया। SEBI की हिस्से‑हिस्से क्लियरेंस ने भी सकारात्मक भावना को तेज़ी से बढ़ाया।