सोलर मॉड्यूल, जिसे अक्सर सोलर पैनल कहा जाता है, सूरज की रौशनी को सीधे बिजली में बदलता है। घर, ऑफिस या बड़े उद्योग में इसका इस्तेमाल करके बिल के खर्च को काफी कम किया जा सकता है। अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि सोलर मॉड्यूल क्यों जरूरी है, तो सोचिए कि हर साल भारत में लाखों किलोवॉट‑घंटा बिजली का बर्बाद हो रहा है—वहीं आपका मॉड्यूल इसे बचा सकता है।
बाजार में तीन प्रमुख प्रकार के मॉड्यूल मिलते हैं:
आपको कौन सा चुनना चाहिए? अगर छत छोटी है और आप अधिक आउटपुट चाहते हैं तो मोनोक्रिस्टलाइन बेहतर रहेगा। अगर बजट फोकस है तो पॉलीक्रिस्टलाइन आपके लिए सही हो सकता है।
सोलर मॉड्यूल लगाने से मिलने वाले मुख्य फ़ायदे बहुत हैं:
अधिकांश राज्य अब ‘नेट मेटरिंग’ की सुविधा देते हैं, यानी आप जितनी बिजली बनाते हैं, उससे जितनी उपयोग नहीं हुई, उसे ग्रिड में भेज कर रिवॉर्ड पा सकते हैं। इस व्यवस्था से सोलर सिस्टम की देनदारी कुछ ही सालों में पूरी हो जाती है।
इंस्टॉलेशन की बात करें तो कुछ चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
यदि आप अभी भी अनिश्चित हैं, तो मेट्रो ग्रीन्स समाचार के सोलर मॉड्यूल टैग पेज पर जाकर नई ख़बरें, तकनीकी अपडेट और विशेषज्ञों की राय देख सकते हैं। यहाँ आपको भारत में चल रही सौर नीतियों, नए प्रोजेक्ट्स और बाजार की कीमतों की ताज़ा जानकारी मिल जाएगी।
सोलर मॉड्यूल अपनाना अब सिर्फ बड़े उद्योगों का ही नहीं, बल्कि हर घर की जरूरत बन गया है। सही जानकारी, उचित चुनाव और भरोसेमंद इंस्टालेशन के साथ आप भी बिजली बिलों को घटा सकते हैं तथा पर्यावरण की मदद कर सकते हैं। अभी कदम बढ़ाएँ, सौर ऊर्जा की शक्ति को अपने घर में लाएँ!
Saatvik Green Energy Limited ने 19 से 23 सितंबर 2025 तक अपना IPO खोला है। कीमत बैंड ₹442‑₹465 प्रति शेयर, कुल इश्यू आकार ₹900 करोड़ है। कंपनी 4 GW ऑडिशा प्लांट और नई सेल लाइन के लिए फंड उपयोग करेगी। वित्तीय आँकड़े दिखाते हैं लाभ में तेज़ी और EBITDA मार्जिन में सुधार। वर्तमान में आईपीओ पूरी तरह सब्सक्राइब्ड है।